इस साल के अंत में गुजरात में चुनाव होने वाले है जिसे लेकर विभिन्न पार्टियों ने अपना प्रचार जोरो से शुरू कर दिया है, गुजरात के चुनावो का असर आसपास के राज्यों पर भी दिखाई देगा. क्योकि अगले साल राजस्थान में भी चुनाव होना है. राजस्थान के चुनावो पर भी गुजरात के चुनाव नतीजों का असर होना लाजिमी है.
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फ़िलहाल में तो जहाँ मोदी ने गुजरात में चार सभाएँ की है, वही कांग्रेस उपाध्यक्ष भी तीन सभाएँ कर चुके है और चौथी की सम्भावना है क्योकि कांग्रेस भी अब अपनी स्थिति को मजबूत कर रही है. जीएसटी और नोटबंदी से गुजरात का व्यापारिक वर्ग सरकार से नाराजगी जाहिर कर चूका है, जिसका फायदा अन्य पार्टिया उठाने कि कोशिश में है. गुजरात मोदी का गृह राज्य है वही दूसरी और अगर भाजपा क पलड़ा कमजोर पड़ा तो उस पर अन्य पार्टिया लाभ उठाना चाहेगी. बीजेपी ने अपना प्रदर्शन सुधारते हुए उन राज्यों में भी सरकार बनाने में सफलता पाई है, जहां अब तक ऐसा सोचना भी मुश्किल था. गुजरात को बीजेपी का गढ़ माना जाता है. ऐसे में यहां सेंध लगाना कांग्रेस के लिए आसान नहीं है. कांग्रेस ने यहां 66 साल के अशोक गहलोत को जिम्मेदारी सौंपी है.
बता दे कि भूपेंद्र यादव भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के करीबी माने जाते हैं, 48 साल के भूपेंद्र यादव राज्यसभा सांसद हैं. ऐसे में राजस्थान में कांग्रेस द्वारा अशोक गहलोत को खड़ा करना, कांग्रेस के लिए चुनौती हो सकती है. दोनों ही जाति समीकरण को अच्छे से समझते हैं. ऐसे में दोनों एक-दूसरे को कड़ी टक्कर देंगे.
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