बड़ी खबर: प्रदेश में नई सौर ऊर्जा नीति 2017 को मिली मंजूरी, नियुक्त किये जायँगे 10 हज़ार सूर्य मित्र

बड़ी खबर: प्रदेश में नई सौर ऊर्जा नीति 2017 को मिली मंजूरी, नियुक्त किये जायँगे 10 हज़ार सूर्य मित्र

यूपी कैबिनेट ने कई अहम निर्णय लेते हुए प्रदेश की सौर ऊर्जा नीति 2017 को मंजूरी दे दी है। इसमें पूर्वांचल व बुंदेलखंड में सौर ऊर्जा प्रोजेक्ट लगाने पर विशेष सहूलियतों व सुविधाओं का प्रावधान है। इस नीति के अंतर्गत 2022 तक 10700 मेगावाट सौर ऊर्जा के उत्पादन का लक्ष्य तय किया गया है। नीति के अंतर्गत 10 हजार युवा ‘सूर्य-मित्र’ रखे जाएंगे। पर्यावरण सुरक्षा में इस नीति को अहम कदम माना जा रहा है।बड़ी खबर: प्रदेश में नई सौर ऊर्जा नीति 2017 को मिली मंजूरी, नियुक्त किये जायँगे 10 हज़ार सूर्य मित्र

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मुख्यमंत्री योगी की अध्यक्षता वाली प्रदेश कैबिनेट ने 2013 की सौर ऊर्जा नीति में महत्वपूर्ण बदलावों को मंजूरी दे दी है। राज्य सरकार के प्रवक्ता व स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने बताया कि 100 मेगावाट के प्रोजेक्ट पर 15 से 30 हजार रुपये तक अनुदान मिलेगा और करीब 50 हजार उपभोक्ताओं को फायदा होगा। सोलर प्रोजेक्ट पर स्टांप ड्यूटी में छूट के अलावा तमाम तरह की सब्सिडी मिलेगी। सोलर पार्क की स्थापना पर भी इसेंटिव की व्यवस्था की गई है।

‘पहले आओ-पहले पाओ’ की नीति के तहत इसका लाभ मिलेगा। इससे राज्य सरकार पर 1831 करोड़ रुपये का खर्च आएगा। उन्होंने बताया कि सौर ऊर्जा के प्रयोग को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार प्रदेश में 10 हजार ‘सूर्य-मित्र’ का चयन करेगी। इन्हें सोलर सिस्टम से जुड़ा तकनीकी प्रशिक्षण दिया जाएगा। इससे एक साल में 1 करोड़ 36 लाख 70 टन कार्बन डाइऑक्साइड का उत्पादन रुकेगा। यह  64200000 पेड़ों द्वारा शोषित की जाने वाली कार्बन डाइऑक्साइड के बराबर है।

सिंह ने बताया कि सरकारी के साथ-साथ अब घरों के छतों पर सोलर रूफ टॉप लगवाने को प्रोत्साहित किया जाएगा। सरकार 15 हजार रुपये प्रति किलोवाट के हिसाब से अनुदान देगी। इंस्पेक्टर राज खत्म हो गया है और अब इसमें फ्लोर एरिया रेशियो (एफएआर) नहीं जुड़ेगा। स्वास्थ्य महकमे ने पहल करते हुए अपने सभी जिला व महिला अस्पताल, सीएचसी व पीएचसी पर सोलर रूफ टॉप लगाने की सहमति दी है। इस संबंध में जल्दी ही एमओयू होंगे।

बंदी रक्षक पद पर अब लिखित परीक्षा से होगी भर्ती 

राज्य सरकार ने कांस्टेबल के बाद अब बंदी रक्षक (जेल वार्डर) की भर्ती के लिए लिखित परीक्षा अनिवार्य कर दी है। पिछली सरकार ने 10 वीं व 12वीं के अंक पत्र और शारीरिक परीक्षा के आधार पर जेल वार्डर की भर्ती का फैसला किया था। अब इसमें संशोधन किया गया है। बंदी रक्षकों की भर्ती अब लिखित परीक्षा के आधार पर होगी। सिपाही की तरह ही बंदी रक्षकों की भर्ती होती है। अखिलेश सरकार ने सिपाही व बंदी रक्षक की भर्ती प्रक्रिया में संशोधन करके लिखित परीक्षा की अनिवार्यता समाप्त कर दी थी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में इससे संबंधित प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई।

प्रदेश में कारागारों की सुरक्षा और आंतरिक व्यवस्था के लिए बंदी रक्षक की अहम जिम्मेदारी होती है। प्रदेश के कारागारों में क्षमता से अधिक कैदी हैं। वहीं बंदी रक्षकों की संख्या स्वीकृत पदों के मुकाबले लगभग आधी है। बंदी रक्षक के कुल 7031 पद हैं। मौजूदा समय इनमें से 3658 पदों पर कर्मचारी तैनात हैं, शेष 3373 पद रिक्त हैं। अब इन पदों को नई नियमावली के अनुसार भरा जाएगा।

दरोगा व इंस्पेक्टर को प्रमोशन के लिए नहीं देनी होगी परीक्षा

प्रदेश में अब दरोगा के पचास प्रतिशत पद सीधी भर्ती और बाकी पचास प्रतिशत  प्रोन्नति से ज्येष्ठता के आधार पर भरे जाएंगे। वहीं निरीक्षक के सभी पद प्रोन्नति से भरे जाएंगे। इसके लिए कैबिनेट ने उत्तर प्रदेश उप निरीक्षक और निरीक्षक (नागरिक पुलिस) सेवा नियमावली 2016 में संशोधन कर दिया है।

प्रमुख सचिव गृह अरविंद कुमार ने बताया कि पुरानी व्यवस्था के तहत दरोगा के पचास प्रतिशत पद सीधी भर्ती से भरने और बाकी पचास प्रतिशत पदों में से दो तिहाई ज्येष्ठता के आधार पर प्रोन्नति से और एक तिहाई पद विभागीय परीक्षा के आधार पर भरे जाने का प्रावधान था।

इसी तरह निरीक्षक के कुल स्वीकृत पदों में से दो तिहाई पद ज्येष्ठता के आधार पर और बाकी एक तिहाई पद विभागीय परीक्षा के आधार पर भरने प्रावधान था। नई नियमावली में विभागीय परीक्षा के आधार पर प्रोन्नति के  प्रावधान को सरकार ने समाप्त कर दिया है।

गोरखपुर के रामगढ़ ताल में बनेगा वाटर स्पोर्टस कांपलेक्स 

सरकार ने गोरखपुर के रामगढ़ ताल में वाटर स्पोर्टस कांपलेक्स केअलावा प्रेक्षा गृह का निर्माण कराने के लिए माध्यमिक शिक्षा विभाग की 5 एकड़ जमीन देने का फैसला किया है। इससे संबंधित प्रस्ताव को कैबिनेट से मंजूरी मिल गई है। पर्यटन के लिहाज से प्रमुख स्थान के तौर पर ताल में जल क्रीडा की व्यवस्था की जाएगी।

दरअसल पर्यटन विभाग ने सरकार को यह प्रस्ताव दिया था कि जलक्रीडा से संबंधित कई तरह के क्रियाकलापों से इस क्षेत्र को पर्यटकों के लिए आकर्षण का केन्द्र बनाया जा सकता है। प्रस्ताव के आधार पर गोरखपुर विकास प्राधिकरण ने ताल का सर्वे कराया था। लेकिन जमीन की उपलब्धता को लेकर दिक्कत आ रही थी। इसलिए सरकार ने शिक्षा विभाग को 1988-89 में आवंटित भूमि में से 5 एकड़ भूमि वॉटर कांपलेक्स व प्रेक्षागृह बनाने केलिए देने की मंजूरी दे दी है।

वाराणसी में पोत परिवहन प्राधिकरण के लिए जमीन देने पर मुहर
प्रदेश सरकार ने वाराणसी में पोत परिवहन प्राधिकरण की स्थापना के लिए सिंचाई विभाग की जमीन देने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इसके लिए पंप नहर को हटाने से लेकर पूरे कार्य पर 4.09 करोड़ रुपये का खर्च आएगा।

अब मई तक हो सकेगा शादी अनुदान का भुगतान

सरकार ने पिछडे़ वर्ग के गरीब लोगों को बड़ी राहत देते हुए मार्च महीने में बेटी की शादी करने पर उनको मई में भी अनुदान देने का फैसला किया है। अब तक के प्रावधान के मुताबिक वित्तीय वर्ष का अंतिम महीना होने के नाते मार्च में बेटी की शादी पर अनुदान नहीं मिलता  था। इससे संबंधित प्रस्ताव को मंगलवार को कैबिनेट से मंजूरी दे दी गई है। इसके बाद, अब मार्च में शादी करने पर भी 31 मई तक अनुदान राशि की स्वीकृति दी जा सकती है।

शादी अनुदान योजना के तहत पिछड़े वर्ग के निर्धन लोगों को बेटी की शादी के लिए आर्थिक मदद देने को प्रदेश में शादी अनुदान योजना लागू है। इसके तहत पात्र लाभार्थी को दो बेटियों की शादी के लिए 20-20 हजार रुपये का अनुदान देने की व्यवस्था है।

मध्य गंगा नहर परियोजना पर 4417 करोड़ के व्यय को मंजूरी
सरकार ने मध्य गंगा नहर परियोजना पर 4417.21 करोड़ रुपये के व्यय को मंजूरी दी है। परियोजना को 2021 तक पूरा किया जाएगा। प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना में शामिल मध्य गंगा नहर परियोजना को 2021 तक पूरा किया जाएगा।

अमरोहा, मुरादाबाद और संभल के 146532 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधा मुहैया कराने के लिए 2007 में 1060 करोड़ की प्रस्तावित लागत से मध्य गंगा नहर परियोजना शुरू की गई थी। 2016-17 तक परियोजना पर 1006.49 करोड़ रुपये व्यय किए गए हैं। भूमि एवं एसआरओ की दर में वृद्धि के कारण परियोजना की अनुमानित लागत बढ़कर 4417.21 करोड़ रुपये हो गई है। मंगलवार को कैबिनेट की बैठक में परियोजना की बढ़ी हुई लागत 4417 करोड़ रुपये व्यय को मंजूरी दी गई।

पिछले बजट के बचे धन का हो सकेगा उपयोग 

सरकार ने राजकीय मेडिकल कॉलेजों एवं संस्थानों में उपकरणों की खरीद के लिए पिछले वित्तीय वर्षों में स्वीकृ त राशि के बचे हुए 100 करोड़ रुपये खर्च करने की अनुमति दे दी है। यह धनराशि केजीएमयू लखनऊ के पब्लिक लेजर अकाउंट में से खर्च हो सकेगी। इस पैसे से  आवश्यक उपकरणों की खरीद एसजीपीजीआई, केजीएमयू और डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान लखनऊ के दर अनुबंध या परचेज ऑर्डर के आधार पर की जा सकेगी।

इस पैसे के अलावा मौजूदा वित्तीय वर्ष में साढ़े 9 करोड़ रुपये और बाकी बचे हैं। इस पैसे का भी उपयोग इसी तरह उपकरणों की खरीद के लिए किया जा सकेगा। मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई कै बिनेट की बैठक में इससे संबंधित प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई।

 
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