बड़ी खबर: फूट-फूटकर रोए अखिलेश यादव, बोले- मैं कहीं का नहीं रहा

SP में चल रहे विवाद के चलते आज अखिलेश यादव भावुक हो गए। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि वह यूपी जीतकर नेता जी को तोहफा देंगे। UP के CM अखिलेश यादव को भले समाजवादी पार्टी से 6 साल के लिए निकाल दिया गया हो, लेकिन उन्हें विधायकों का अप्रत्याशित समर्थन इस बात का संकेत है कि उनका अगला कदम अब पार्टी की कमान अपने हाथ में लेना हो सकता है।

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समाजवादी पार्टी के सूत्रों के मुताबिक रामगोपाल यादव द्वारा रविवार (1 जनवरी) को बुलाए गए आपातकीन राष्ट्रीय सम्मेलन में पार्टी के सदस्य अखिलेश को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुन सकते है। यह पद फिलहाल उनके पिता मुलायम सिंह यादव संभाल रहे हैं। अखिलेश से समर्थक दावा कर रहे हैं कि यही ‘असली समाजवादी पार्टी’ है। इस बीच शनिवार को रामगोपाल यादव ने बैठक स्थल को लोहिया विश्वविद्यालय से बदलकर जनेश्वर मिश्र पार्क कर दिया है।

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बताया जा रहा है कि रविवार की बैठक को लेकर अखिलेश खेमा बहुत गंभीर है क्योंकि मुलायम सिंह यादव ने कहा था कि जो भी इस सम्मेलन में जाएगा उस पर कार्रवाई की जाएगी। ऐसे में अखिलेश खेमा यह संदेश देना चाहता है कि न सिर्फ सरकार पर बल्कि पार्टी पर भी अखिलेश की पकड़ है।

नाम न बताए जाने की शर्त पर समाजवादी पार्टी के एक नेता ने कहा, ‘अखिलेश को नई पार्टी क्यों बनानी चाहिए? वह खुद पार्टी हैं।’ रविवार को होने वाली बैठक में बड़ी संख्या में विधायकों, सांसदों और अन्य नेताओं के पहुंचने की उम्मीद है, जहां अखिलेश को पार्टी का नेतृत्व संभालने को कहा जाएगा। अखिलेश के लिए यह पद इसलिए भी जरूरी है क्योंकि प्रदेश में चुनाव की घोषणा जल्द होने वाली है और आचार संहिता लागू हो जाने के बाद अखिलेश सीएम के तौर पर कोई बड़ा फैसला नहीं ले सकेंगे।
इस बीच राज्यपाल राम नाइक ने भी सक्रिय होने के संकेत दे दिए हैं। उन्होंने टाइम्स ऑफ इंडिया से कहा, ‘फिलहाल यह घटनाक्रम पार्टी का अंदरूनी मामला है। मेरी इस पर नजर बनी हुई है। परिस्थितियों के हिसाब से जरूरी कदम उठाए जाएंगे।’ कुछ टीवी रिपोर्ट्स में राज्यपाल के हवाले से कहा गया है कि अभी प्रदेश में कोई ऐसा संवैधानिक संकट नहीं है कि राज्यपाल को दखल देना पड़े।
वैसे पार्टी में चल रहा यह झगड़ा 2017 के चुनाव में उसकी दावेदारी को भी कमजोर भी कर सकता है। माना जा रहा है कि इसका फायदा बीएसपी और बीजेपी को मिल सकता है। एसपी में टूट से यह संभावना भी बढ़ गई है कि मुस्लिम वोटर बीजेपी को रोकने के लिए बीएसपी का साथ दें। मुस्लिमों का एक बड़ा तबका 1990 के समय से मुलायम का समर्थन करता रहा है। वहीं बीजेपी यह उम्मीद कर सकती है कि मुस्लिम वोटों के बंटने का सीधा फायदा उसे मिलेगा। इसके अलावा बीजेपी एसपी के उन वोटर्स से भी समर्थन की उम्मीद कर सकती है जो विकास चाहते हैं और बीएसपी-कांग्रेस को पसंद नहीं करते।
खास बात यह है कि प्रदेश में सबसे कमजोर मानी जाने वाली कांग्रेस को भी इस पूरे घटनाक्रम में फायदा मिल सकता है। कांग्रेस एसपी से गठबंधन करने के लिए आतुर है, पर मुलायम ने गठबंधन के प्रस्ताव को खारिज कर दिया था। ऐसे में एसपी में टूट के बाद यह संभावना बढ़ गई है कि कांग्रेस और अखिलेश में चुनावी समझौता हो जाए। इसके पहले अखिलेश कई बार कांग्रेस से गठबंधन की वकालत कर चुके हैं। उन्होंने तो यहां तक कह दिया था कि अगर कांग्रेस के गठबंधन होता है तो चुनाव में 300 से ज्यादा सीटें आ सकती हैं।
बता दें कि शुक्रवार को मुलायम ने मीडिया को संबोधित करते हुए साफ किया था कि वह ही पार्टी के मुखिया हैं। एसपी सुप्रीमो ने पार्टी में टूट के लिए चचेरे भाई रामगोपाल यादव को जिम्मेदार बताते हुए खूब खरी खोटी सुनाई थी।
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