दो जुलाई 2008 के राष्ट्रपति के आदेशानुसार सभी सरकारी वेबसाइटों को द्विभाषी बनाना और नियमित रूप से अपडेट करना अनिवार्य है। लेकिन, खुद राष्ट्रपति सचिवालय इस आदेश का पालन नहीं कर रहा है। BJP नेता का तंज- संघ के प्रसिद्ध अर्थशास्त्री ने यशवंत सिन्हा को बताया था ‘अनर्थ शास्त्री’
राष्ट्रपति सचिवालय में सिर्फ अंग्रेजी का बोलबाला है। राजभाषा हिंदी की घोर अवहेलना की जा रही है। सूचना के अधिकार (आरटीआई) से मिली जानकारी में यह बात सामने आई है।
मुंबई के प्रवीण जैन ने राष्ट्रपति भवन की वेबसाइट अंग्रेजी के अलावा हिंदी में बनाने के लिए लंबी लड़ाई लड़ी थी। आरटीआई के माध्यम से राष्ट्रपति भवन की वेबसाइट अंग्रेजी के साथ हिंदी में तो बन गई लेकिन, राष्ट्रपति भवन के लगभग सभी दस्तावेज सिर्फ अंग्रेजी में ही अपलोड किए जाते हैं।
हिंदी सेवी विधि जैन ने राष्ट्रपति भवन में हिंदी के उपयोग के संबंध में राष्ट्रपति सचिवालय से आरटीआई के तहत जानकारी मांगी थी। उन्होंने राष्ट्रपति सचिवालय से पूछा था कि साल 2016-2017 में राजभाषा अधिनियम की धारा तीन के तहत कितने दस्तावेज द्विभाषा (हिंदी-अंग्रेजी) में जारी किए गए। इसके अलावा राष्ट्रपति भवन की वेबसाइट पर अपलोड किए गए कितने दस्तावेज हिंदी और कितने अंग्रेजी में थे। इसके जवाब में चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है जो राजभाषा अधिनियम की धज्जियां उड़ाने वाली हैं।
राष्ट्रपति सचिवालय वेबसाइट पर अपलोड दस्तावेज की स्थिति राजभाषा हिंदी के लिए बेहद निराशाजनक है। बताया गया है कि साल 2016-2017 के दौरान 799 निविदा दस्तावेज में से सिर्फ एक हिंदी में शेष सारे दस्तावेज अंग्रेजी में ही अपलोड किए गए हैं। इसी तरह दया याचिकाएं हिंदी में एक और चार अंग्रेजी में तथा यात्रा संबंधी हिंदी में 9 और अंग्रेजी में 79 दस्तावेज अपलोड किए गए हैं।
राष्ट्रपति सचिवालय के मुताबिक कुल 1011 दस्तावेजों में से हिंदी में केवल 14 और अंग्रेजी में 997 दस्तावेज अपलोड किए गए। इस तरह साल 2016-2017 के दौरान राष्ट्रपति सचिवालय की वेबसाइट पर अंग्रेजी के मुकाबले सिर्फ 1.39 प्रतिशत दस्तावेज हिंदी में अपलोड किए गए हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बहुत आशाएं थी कि वह हिंदी को बढ़ावा देंगे लेकिन, निराशा हुई है। अब नए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भोपाल में शिक्षा एवं भारत विषय पर अपने वक्तव्य में कहा था कि मातृभाषा में शिक्षा सुदृढ़ भारत की संकल्पना को साकार कर सकती है।
उनसे उम्मीद है कि वे कम से कम राष्ट्रपति सचिवालय की स्थिति बदलेंगे। राष्ट्रपति मातृभाषा में शिक्षा के पक्षधर हैं। इसलिए उन्हें जल्द ही पत्र लिखने जा रही हूं।