सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले से देश की रफ़्तार थम गई । दरअसल कोर्ट ने एक अप्रैल से BS-III वाहनों की मैन्युफैक्चरिंग के साथ बिक्री पर भी रोक लगा दी है। बता दें कि मौजूदा समय में कंपनियों के पास 8 लाख से अधिक BS-III वाहन हैं। इसलिए ऑटोमोबाइल कंपनियों ने मामले में कोर्ट से करीब आठ महीनों का वक्त दिए जाने की मांग की है।
आभी-अभी: जनधन खातों में पीएम मोदी ने दी पहली सौगात, साथ ही रख दी भविष्य की नींव
अभी अभी: अरुण जेटली के इस बयान से, पूरे शहर में चारो तरफ़ मचा बवाल…
ख़बरों के मुताबिक़ कंपनियों के स्टॉक में 8 लाख 24 हजार बीएस-तीन वाहन हैं। इनमें से 671308 दोपहिया वाहन, 40048 तिपहिया, 96724 व्यावसायिक वाहन और 16198 कारें हैं। ऑटो कंपनियों ने पीठ से गुहार लगाई कि उन्हें छह-सात महीने का वक्त दिया जाए, वे अपने स्टॉक को निकाल लेंगे। सरकार भी ऑटो कंपनियों के पक्ष में है। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से आग्रह करते हुए कहा है कि बीएस-4 प्रभावी होने के बाद भी बीएस-3 की बिक्री की इजाजत दी जाए।
जिनके मसीहा खुद है सीएम योगी, उन्ही के राज में अपनों के साथ हुआ ऐसा बर्ताव कि…
सरकार का कहना है कि एक अप्रैल के बाद बीएस-3 वाहनों के उत्पादन पर पाबंदी हो, न कि बिक्री और रजिस्ट्रेशन पर। साल 2005 और 2010 में जारी किए गए नए उत्सर्जन मानकों का हवाला देते हुए सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल रंजीत कुमार ने पीठ के समक्ष बिक्री की इजाजत देने के लिए अपनी बात रखी। उन्होंने बताया कि बीते समय में भी नए मानकों को जारी करने के बाद पुराने स्टॉक को खाली करने का वक्त दिया गया था।
TOS News Latest Hindi Breaking News and Features