देश में शराब के बढ़ते कुप्रभाव को रोकने के लिए गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक कदम उठाया है। कोर्ट ने देशभर के हाइवे के किनारे शराब की बिक्री पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने कहा है कि किसी भी हाइवे और राजमार्ग के किनारे शराब कतई ना बेची जाए। कोर्ट ने राज्य सरकारों को आदेश दिया है कि वो तुरंत हाइवे के किनारों से शराब के ठेके हटा ले। यदि एक भी ठेका पाया गया तो राज्य सरकार खामियाजा भुगतेगा। कोर्ट ने इसके लिए सरकार को 31 मार्च तक का समय दिया है।
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इसके साथ ही कोर्ट ने केंद्र से कहा कि स्कूली बच्चों में बढ़ती नशे और शराब की लत पर रोक लगाने के लिए वह 6 महीने के भीतर राष्ट्रीय कार्ययोजना पेश करे। न्यायालय ने कहा कि एक बार ‘लत लग जाने के बाद उन्हें नशे का तस्कर’ बनने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। इसलिए केंद्र देशभर में स्कूली बच्चों में शराब और मादक पदार्थों की लत और उनके इस्तेमाल पर राष्ट्रीय सर्वेक्षण करवाए।
नशे के दुष्प्रभावों के बारे में जागरूकता स्कूली बच्चों को मादक पदार्थों की लत और इसके दुष्प्रभाव के बारे में जागरूक करने के लिए पीठ ने उनके पाठ्यक्रम पर फिर से विचार करने का सुझाव दिया। यह निर्देश गैर सरकारी संगठन बचपन बचाआे आंदोलन की आेर से वर्ष 2014 में दायर की गई जनहित याचिका पर दिए गए हैं। यह संगठन नोबल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी का है।