अभी-अभी: महाराष्ट्र में कीटनाशकों के प्रयोग से हुई 18 किसानों की मौत, 800 की हालत गंभीर
कोर्ट ने प्राइवेट संस्थाओं के गैर मान्यता प्राप्त प्रमाणपत्र धारकों को चयन सूची से बाहर करने का निर्देश दिया है।
कोर्ट ने कहा कि सरकारी नौकरी में केवल मान्यता प्राप्त संस्थान से डिग्री या डिप्लोमा धारण करने वालों को ही चयन का अधिकार है।
सूची रद्द करते हुए कोर्ट ने कहा कि नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इलेक्ट्रॉनिक एंड इंफारर्मेशन टेक्नालॉजी (एमईआईएलआईटी) से मान्यता प्राप्त कंप्यूटर कांसेप्ट कोर्स (ट्रिपल सी) एवं इसके समकक्ष डिग्री को अर्ह मानने का बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स का 23 नवंबर 2015 का आदेश वैध है।
प्रशांत कुमार जायसवाल सहित सैकड़ों अभ्यर्थियों की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा ने यह आदेश दिया। याचिका पर अधिवक्ता सीमांत सिंह, अभिषेक श्रीवास्तव सहित कई वकीलों ने बहस की।
आयोग ने छह सितंबर 2014 को तकनीकी ग्रेड के 2211 पद और 24 अप्रैल 2015 को 884 पदों की भर्ती का विज्ञापन जारी किया था। इसमें अन्य अर्हताओं के अलावा ट्रिपल सी का प्रमाणपत्र होना अनिवार्य अर्हता थी।
चयन प्रक्रिया पूरी होने के बाद 14 जुलाई 2015 को चयन सूची जारी की गई। इसके खिलाफ 676 याचिकाएं दाखिल की गईं। याचिकाकर्ताओं का कहना था कि चयन सूची में ऐसे अभ्यर्थियों को भी शामिल किया गया है जिन्होंने गैर मान्यता प्राप्त संस्थाओं से ट्रिपल सी के प्रमाणपत्र लगा रखे हैं।
यह गलत है क्योंकि सिर्फ मान्यता प्राप्त संस्थान से जारी ट्रिपल सी प्रमाणपत्र धारकों को ही चयन में शामिल होने का वैधानिक अधिकार है। कहा गया कि संविधान के अनुच्छेद 16 के अनुसार मान्य योग्यता धारक ही सरकारी नौकरी में चयन पा सकते हैं।
कोर्ट ने चयन सूची रद्द करते हुए निर्देश दिया है कि मान्यता प्राप्त प्रमाणपत्र धारकों की नए सिरे से सूची तैयार कर चयन परिणाम जारी किया जाए।