यह समिट 11 और 12 तारीख को होगा, इसमें 10 एशियाई देश हिस्सा लेंगे। इसमें वियतनाम और कंबोडिया भी शामिल होंगे। जापान एक अकेला देश होगा जो इस समिट में बाहर से हिस्सा लेगा। समिट के दौरान भारत और एशियाई देशों के बीच इकोनॉमी बढ़ाने और औद्योगिक संबंध जैसे मुद्दों पर बात होगी।
बता दें कि जापान ने 5 दिसंबर को भारत के साथ एक अधिनियम ईस्ट फोरम का उद्घाटन किया इसमें जापान की अंतरराष्ट्रीय सहयोग एजेंसी (JICA) और जापान के विदेश व्यापार संगठन (JETRO) द्वारा प्रतिनिधित्व किया गया। इसका उद्देश्य उत्तरपूर्व में जापान के साथ सहयोग बढ़ाने के लिए है।
जापान के राजदूत केन्जी हिरामात्सू के मुताबिक यह समिट भारत और जापान के लिए बहुत महत्तवपूर्ण है। इस समय के भू-राजनैतिक हिसाब से दक्षिण एशिया भारतीय विदेश नीति के लिए काफी मायने रखता है। भारत दक्षिण आसियान के लिए अपनी विदेश नीति पर लगातार काम कर रहा है, और देशों से जुड़ने के लिए वह हर कारगर कदम को उठाने की कोशिश कर रहा है।
आसियान समिट पर लगातार नजर बनाए रखे भारत ने आसियान प्रोजेक्ट को प्रमोट करने के लिए साल 2015 में करीब 1 बीलियन डॉलर का प्रस्ताव रखा था। इस समिट का उद्देश्य डिजिटल कनेक्टिविटी को बेहतर करने के लिए होगा। सरकार का उद्देश्य है कि 2025 तक मास्टर प्लान के तहत इस कन्क्टिविटी को बहुत बेहतर बनाना है।