सीबीआई के स्पेशल जज बृजगोपाल लोया की संदिग्ध मौत के मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई एक हफ्ते के लिए टल गई है। लोया की मौत के मामले पर सुनवाई करने वाली बेंच में जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस एमएन शांतनगौडार शामिल हैं। जस्टिस अरुण मिश्रा वही जज हैं जिन पर सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे ने आरोप लगाया था कि उनके बीजेपी और सीनियर नेताओं से करीबी संबंध हैं। इस केस में सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को कहा है कि याचिकाकर्ता इस ‘रहस्यमयी मौत’ के मामले में सभी तथ्यों के बारे में पता होना चाहिए और मेडिकल रिपोर्ट सहित सभी दस्तावेजों की जांच करने में सक्षम होना चाहिए। इसी आधार पर कोर्ट ने सुनवाई सात दिन के लिए टाल दिया है। दरअसल, अदालत दो जनहित याचिकाएं सुन रही है, एक पत्रकार बंधुराज संभाजी द्वारा दायर की गई और एक राजनीतिक कार्यकर्ता तहसीन पूनावाला द्वारा। इस पर वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे का कहना है कि हमें याचिकाकर्ता को दस्तावेज सौंपने में कोई परेशानी नहीं है लेकिन हमारा अनुरोध है कि इसे सार्वजनिक न किया जाए।
आज सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट के गुरुवार के आदेश के अनुसार, महाराष्ट्र सरकार ने मामले के दस्तावेजों को मोहरबंद कवर में सुप्रीम कोर्ट में सौंप दिया। अदालत ने एक सप्ताह के लिए मुकदमा स्थगित कर दिया और याचिकाकर्ताओं को अगर वे चाहें तो अतिरिक्त दस्तावेज जमा करने की अनुमति दी है।
क्यों आना पड़ा चार जजों को जनता के सामने?
आपको बता दें, शुक्रवार को चार जजों की प्रेस कांफ्रेंस के बाद ये मामला एक बार फिर सुर्खियों में आया था। प्रेस कांफ्रेंस में जजों ने सवालों के जवाब देते हुए कहा था कि हां जज लोया की मौत का मामला भी उनकी बेचैनी, विरोध और असंतोष की वजह है। सोमवार को इस मामले की सुनवाई जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस एमएन शांतनगौडार की अदालत में होनी थी। जस्टिस शांतागौडार निजी कारणों से छुट्टी पर रहे, जिसके चलते सुनवाई आज होनी थी और इसकी तारीख टल कर एक हफ्ते के लिए और बढ़ गई है।
इस मामले में चीफ जस्टिस ने रोस्टर तय करने के अधिकार के तहत तहसीन पूनावाला की ओर से दाखिल याचिका को जस्टिस अरुण मिश्रा की बेंच के पास सुनवाई के लिए भेजा था। इस बेंच ने याचिका में उठाये गये मुद्दों को गंभीर बताते हुए अगली सुनवाई पर महाराष्ट्र सरकार के स्टैंडिंग काउंसिल को हाजिर होने को कहा था। जज लोया की मौत पर लंबे समय से सवाल उठ रहे थे। शुक्रवार को चार जजों ने जो प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी, उसमें जजों के रोस्टर तय करने पर भी सवाल उठाए गए थे और जस्टिस लोया केस का जिक्र भी किया गया था।
गौरतलब है कि सोहराबुद्दीन एनकाउंटर मामले में सीबीआई के स्पेशल जज बीडी लोया सुनवाई कर रहे थे। दिसंबर 2014 में नागपुर में एक समारोह में अचानक उनकी तबीयत बिगड़ी और अस्पताल ले जाने के बाद उनका निधन हो गया। मौत की वजह और पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट जैसे कई मसलों को लेकर सवाल उठाये जाते रहे हैं।