दूसरी ओर, हरियाणा सरकार ने जीएसटी के संबंध में जरूरी दिशा-निर्देश जारी किए हैं, जिसके चलते सप्लायर को हरियाणा और बाहरी राज्यों में माल भेजने पर टीडीएस भी अदा करना पड़ेगा। जीएसटी कानून के प्रावधानों के अनुसार, यदि आपूर्तिकर्ता और आपूर्ति का स्थान हरियाणा में है तो सरकारी विभागों, स्थानीय प्राधिकरणों और सरकारी एजेंसियों की ओर से आपूर्तिकर्ता को किए गए भुगतान से राज्य जीएसटी और केंद्रीय जीएसटी के तहत एक-एक प्रतिशत टैक्स एट सोर्स (टीडीएस) काटा जाएगा।
इसी तरह अंतरराज्यीय आपूर्ति के मामले में सरकारी विभागों, स्थानीय प्राधिकरणों और सरकारी एजेंसियों की ओर से आपूर्ति प्राप्त की जाती है तो एकीकृत जीएसटी (आईजीएसटी) के तहत दो प्रतिशत की दर से टीडीएस काटा जाएगा। आबकारी एवं कराधान विभाग के प्रवक्ता ने बताया कि बताया कि आपूर्तिकर्ता को किए गए भुगतान से टीडीएस उस स्थिति में काटा जाएगा, जब अनुबंध के तहत ऐसी आपूर्ति का कुल मूल्य 2.5 लाख रुपये से अधिक होगा।
अनुबंध के मूल्य की गणना करते समय जीएसटी के तहत कर यानी राज्य जीएसटी, केंद्रीय जीएसटी और आईजीएसटी व सेस को बाहर रखा जाएगा। इस प्रकार, टीडीएस तभी काटा जाएगा, जब व्यक्तिगत आपूर्ति ढाई लाख से कम है, परंतु अनुबंध का मूल्य ढाई लाख से अधिक है। टीडीएस की देयता के चलते सरकारी विभागों को भी पंजीकरण करवाना होगा।
उन्होंने बताया कि यदि सरकारी विभागों, स्थानीय प्राधिकरणों और सरकारी एजेंसियों को टीडीएस काटना आवश्यक है तो उन्हें जीएसटी के तहत 20 लाख रुपये की प्रारंभिक सीमा के बावजूद पंजीकरण करवाना होगा।