यूपी विधानसभा में कथित पीईटीएन (पेंटा एरीथ्रिटाल टेट्रा नाइट्रेट) पाउडर मिलने के मामले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर दी है। एनआईए की ओर से कहा गया है कि शुरुआती जांच में जिसे खतरनाक प्लास्टिक विस्फोटक पीईटीएन बताया गया था, वह हैदराबाद फोरेंसिक लैब की जांच में क्वार्ट्ज पाउडर निकला।Big Breaking: अभी-अभी ताजनगरी में बम धमाका, एक युवक की मौत, मची हड़कम्प!
जांच एजेंसी ने यह पता करने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई कि उक्त पाउडर विधानसभा में कहां से पहुंचा। एनआईए के एसपी अतुल गोयल पिछले शुक्रवार को लखनऊ में थे और कोर्ट में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल करने के बाद दिल्ली लौट गए।
एनआईए के एक अधिकारी ने बताया कि हैदराबाद स्थित केंद्रीय विधि विज्ञान प्रयोगशाला की रिपोर्ट के आधार पर इस मामले को बंद कर दिया गया है। हाल के दिनों में यह पहला मौका है जब एनआईए ने किसी मामले में क्लोजर रिपोर्ट लगाई हो।
सूत्रों का कहना है कि क्वार्ट्ज पाउडर का इस्तेमाल लकड़ी पर पॉलिश कर उसे चमकाने के काम में किया जाता है। विधानसभा में तमाम फर्नीचर लगे हुए हैं, जिनके लिए उक्त पाउडर का इस्तेमाल होना आम बात है। ऐसे में इसकी जांच का कोई मतलब नहीं था कि पाउडर कहां से आया।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विधानसभा में संबोधन के दौरान इसे खतरनाक आतंकी साजिश बताते हुए पूरे मामले की जांच एनआईए से कराने की घोषणा की थी। इस बीच आगरा लैब से ही इस संदिग्ध पाउडर के पीईटीएन न होने की पुष्टि हो गई थी लेकिन सरकार की ओर से इस रिपोर्ट का खंडन किया गया।
केंद्रीय विधि विज्ञान प्रयोगशाला से जांच कराने के लिए सैंपल हैदराबाद भेजा गया। वहां से रिपोर्ट आती, इससे पहले एनआईए ने मामले की जांच अपने हाथ में ले ली थी। 25 जुलाई को दिल्ली से आई एनआईए टीम ने लखनऊ पहुंच कर जांच शुरू कर दी थी। इससे पहले एटीएस इस मामले की जांच कर रहा था।
उपाध्याय पर आरोप था कि उन्होंने एक्सपायरी किट से संदिग्ध पाउडर की जांच की और जल्दबाजी में उसे पीईटीएन बता दिया। साथ ही आगरा लैब की रिपोर्ट को दबाने और पुलिस व गृह विभाग के उच्चाधिकारियों को लगातार गुमराह करने का आरोप भी उन पर लगा था। इन आरोपों की जांच विजिलेंस के डीजी एचसी अवस्थी कर रहे हैं।