सब कुछ आपके हाथ में नहीं होता। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के भी यहां हाथ तंग हैं। लेकिन यदि सभी विपक्षी दल साथ आएंगे तो नीरव मोदी और उनके सहयोगियों द्वारा पंजाब नेशनल बैंक के साथ की गई धोखाधड़ी पर कांग्रेस अध्यक्ष के नेतृत्व में मोदी सरकार की सांसत बढ़ाने की तैयारी है। दिलचस्प यह भी की चेहरा राहुल गांधी बनेंगे और विपक्षी दलों को साथ लाने की कमान सोनिया गांधी के हाथ में रहेगी। सूत्र बताते हैं कि इसी तर्ज पर कांग्रेस पार्टी ने आगे की राजनीतिक लड़ाई को धार देने का मन बनाया है।कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी की अध्यता में पार्टी के स्टीयरिंग कमेटी की बैठक हुई है। इस बैठक में अन्य मुद्दों के साथ-साथ पंजाब नेशनल बैंक के साथ हुई धोखाधड़ी के मामले पर भी चर्चा हुई है। सूत्र बताते हैं कि पार्टी के रणनीतिकार इस मुद्दे को हर हाल में जिंदा रखना चाहते हैं। इसके लिए उनका मानना है कि संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) इस मामले की जांच करे। जेपीसी के गठन के मांग को धार दिया जाए। यह बिना विपक्ष के अन्य दलों के सहयोग से संभव नहीं है। गौरतलब है कि टू-जी लाइंसेंस और स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाले का आरोप लगने के बाद तत्कालीन विपक्षी दल भाजपा ने भी संयुक्त संसदीय समिति से जांच कराने की मांग की थी। विपक्ष ने भरपूर दबाव बनाया था और संसद के कामकाज को काफी समय तक नहीं चलने दिया था। इस क्रम में यूपीए सरकार पहले संसद की लोकलेखा समिति से और फिर संयुक्त संसदीय समिति से जांच कराने के लिए तैयार हुई थी।
गौरतलब है कि टू-जी लाइंसेंस और स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाले का आरोप लगने के बाद तत्कालीन विपक्षी दल भाजपा ने भी संयुक्त संसदीय समिति से जांच कराने की मांग की थी। विपक्ष ने भरपूर दबाव बनाया था और संसद के कामकाज को काफी समय तक नहीं चलने दिया था। इस क्रम में यूपीए सरकार पहले संसद की लोकलेखा समिति से और फिर संयुक्त संसदीय समिति से जांच कराने के लिए तैयार हुई थी। 
कांग्रेस के नेताओं का मानना है कि संसद की समितियों से जांच की प्रक्रिया ने तत्कालीन सरकार के खिलाफ बड़ा माहौल बनाया था। बताते हैं नीरव मोदी और अन्य द्वारा बैंक के साथ किया गया यह घोटाला अब तक का सबसे बड़ा घोटाला है। इसलिए इसकी संयुक्त संसदीय समिति की जांच काफी माने रखेगी।
विपक्ष की मुश्किल
कांग्रेस की पहली मुश्किल पूरे विपक्ष की मुश्किल है। कांग्रेस इस मुश्किल की गंभीरता को समझ रही है। उसे विपक्ष की एकता हो पाने में संशय नजर आ रहा है। इसकी वजह लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष का दर्जा न मिल पाने का कारण भी है। पार्टी के रणनीतिकारों को लग रहा है कि केन्द्र सरकार सीबीआई और जांच एजेंसी का भय दिखाकर इस प्रयास को कमजोर कर सकती है। लेकिन इसके बावजूद पार्टी के नेता एक दांव लगाने का मन बना रहे हैं। इसके लिए एनसीपी के शरद पवार, तृणमूल की ममता बनर्जी समेत अन्य नेताओं से चर्चा की पहल की जाएगी।
राज्यसभा में दम खम है
कांग्रेस की लोकसभा में भले ही स्थिति कमजोर है, लेकिन राज्यसभा में उसके पास दम खम है। कांग्रेस के नेताओं को उम्मीद है कि बजट सत्र के दौरान यदि वामदल, बसपा, सपा, तृणमूल कांग्रेस, एनसीपी समेत अन्य दलों के नेता साथ आते हैं तो इसका अच्छा असर देखने को मिल सकता है। फिलहाल पार्टी के नेताओं ने इस मुद्दे को पांच मार्च से शुरू हो रहे बजट अवकाश के बाद संसद सत्र में इस मुद्दे को उठाने की तैयारी शुरू कर दी है। लोकसभा और राज्यसभा में इसे अलग-अलग तेवर के साथ पार्टी के सांसद उठा सकते हैं।
सोशल मीडिया बना हथियार
कांग्रेस के पास सबसे बड़ा हथियार सोशल मीडिया है। पार्टी के एक राष्ट्रीय नेता के अनुसार अभी भी मीडिया केन्द्र सरकार से डर रहा है। वह कांग्रेस के नेताओं को काफी कम जगह दे रहा है। ऐसे में पार्टी के पास सबसे बड़ा जरिया सोशल मीडिया है। पार्टी के आईटी सेल से जुड़े सूत्र के अनुसार पंजाब नेशनल बैंक के साथ धोखाधड़ी के मामले में नए तरीके से इसके सच को जनता के सामने लाने की तैयारी चल रही है। सूत्र का कहना है कि सोमवार इसको लेकर पार्टी का रवैय्या काफी आक्रामक हो सकता है। इसके लिए तंज, व्यंग, प्रधानमंत्री मोदी के पुराने वीडियो क्लिप, ताजा तथ्य आदि का सहारा लिया जा सकता है। इसके अलावा कांग्रेस पार्टी के सभी मुख्य विभाग और संगठन इसे अपने तरीके से जनता के बीच में ले जाने का प्रयास करेंगे।
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