भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (MPC) अगली बैठक में नीतिगत दरों में कटौती कर सकती है. 6 दिसंबर को होने वाली बैठक में केंद्रीय बैंक ब्याज दरों में 0.25 फीसदी की कटौती कर सकता है. बैंक ऑफ अमेरिका मेरिल लिंच (बोफा-एमएल) ने अपनी एक रिपोर्ट में यह संभावना जताई है.Technology: अब चीन में बिना पटरी के दौड़ेगी स्मार्ट ट्रेन, जानिए खासियतें!
मुद्रास्फीति स्थिर
रिपोर्ट के मुताबिक खुदरा मुद्रास्फीति अभी स्थिर है. अक्टूबर महीने में इसके 3.3 फीसदी रहने का अनुमान है. ऐसे में आरबीआई नीतिगत दरों में बदलाव करने का फैसला ले सकती है.
बैंक ने कहा कि मुख्य उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति को सातवें वेतन आयोग के बाद आवास किराया भत्ते (एचआरए) के लिए समायोजित किया गया था। अब यह नीचे आ रहा है और एचआरए का प्रभाव काफी हद तक ‘सांख्यिकी’ की दृष्टि से ही रह गया है।
ऐसे बन रही है रेट कट की गुंजाइश
ब्रोकरेज फर्म ने उम्मीद जताई है कि अक्टूबर महीने में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति सितंबर के स्तर पर बनी रहेगी. सितंबर में यह मुद्रास्फीति 3.3 फीसदी थी. रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की वृद्धि दर इस दौरान बेहतर रहने की उम्मीद है. यह दर 7 फीसदी के करीब रहने का अनुमान है. इससे आरबीआई के सामने रेट कट करने की गुंजाइश पैदा हो जाती है.
सस्ता हो सकता है कर्ज
अगर केंद्रीय बैंक की तरफ से नीतिगत दरों में कटौती कर दी जाती है, तो इसका सीधा फायदा आम लोगों को सस्ते कर्ज के तौर पर मिल सकता है.
पिछली बैठक में नहीं घटी दरें
आरबीआई ने पिछली मौद्रिक नीति समिति की बैठक में रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है. 4 अक्टूबर को हुई इस बैठक में आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल की अध्यक्षता में समिति की बैठक हुई. इसमें महंगाई और अर्थव्यवस्था की मौजूदा स्थिति को देखते हुए रेपो रेट में कोई बदलाव न करने का फैसला लिया गया. इसे 6 फीसदी ही रखा गया है.
जताई थी जीएसटी को लेकर नाखुशी
इस दौरान समिति ने जीएसटी के क्रियान्वयन पर भी नाखुशी जताई थी. आरबीआई ने विकास दर के अपने पिछले अनुमान को भी घटा दिया था. आरबीआई ने विकास दर के अनुमान को 7.3 फीसदी से घटाकर 6.7 फीसदी कर दिया है.