पिछले 6 सालों से एनसीआर की कीमतें पहले से ही गिरी हुई हैं, उनमें भी और 2 प्रतिशत की गिरावट आई है। इस गिरावट का मुख्य कारण डिमांड में आई कमी है। बेंगलुरु, दिल्ली एनसीआर और चेन्नई में 26 प्रतिशत, 6 प्रतिशत और 20 प्रतिशत की गिरावट हुई है।
हालांकि मुंबई और पुणे के मार्केट में थोड़ी सी बढ़ोत्तरी देखी गई। रिपोर्ट्स के अनुसार चूंकि महाराष्ट्र में रेरा को सही तरीके से अमल में लाया गया है इसी वजह से मुंबई और महाराष्ट्र में 3 और 5 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। धीमी सेल्स की वजह से नई लॉन्चिंग में दिल्ली एनसीआर में 56 तो बेंगलुरु में 41 प्रतिशत गिरावट आई। इसने रियल एस्टेट क्षेत्र को बुरी तरह प्रभावित किया।
नाइट फ्रैंक इंडिया के प्रोपर्टी कंसल्टेंट ने कहा- एनसीआर में 37,853 यूनिट में 6 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई। वहीं कीमत 2 प्रतिशत तक नीचे गिरी है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि नए लॉन्चिंग में साल 2016 में 53 और 2017 में 83 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई। जिससे यह साबित होता है कि डेवलपर्स 50 लाख के बजट होम्स पर अपना ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। अफोर्डेबल हाउस में बढ़ोत्तरी इसलिए हुई है क्योंकि लोगों में इसकी डिमांड बहुत ज्यादा है और प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत इसमें सब्सिडी भी मिलती है।
फ्रैंक इंडिया के अध्यक्ष शिशिर बैजल ने कहा- 2010 में रियल एस्टेट की हालत बहुत खराब थी। ऐसा लगता है कि समय के साथ नोटबंदी का असर कम हो गया है। जिन बाजारों में रेरा परिपक्व हो चुका है वहां डेवलपर्स ने अपने प्रोजेक्ट को आकर्षक कीमतों पर दोबारा लॉन्च किया था। जिसकी वजह से 2017 में सेल बढ़ी थी।
इसके अलावा साल 2010 में जहां 4.80 लाख अपार्टमेंट लॉन्च हुए थे वहीं साल 2017 में यह संख्या घटकर 1.03 लाख रह गई है।
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