देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी पंचतत्व में विलीन हो चुके हैं। स्वर्णिम चतुर्भुज योजना के जरिए देश में उम्दा सड़कों का जाल बिछना अटल बिहारी वाजपेयी की ही देन था। वहीं उनके नाम से चलने वालीं कुछ ऐसी योजनाएं भी हैं जिन्होंने देश के किसानों और बुजुर्गों को आर्थिक सक्षमता प्रदान की है। ऐसे में अटल पेंशन योजना की बात करें तो इसमें महीने के महज 210 रुपये के निवेश से रिटायरमेंट के बाद 5000 रुपये की पेंशन मिल सकती है। हम अपनी इस खबर में आपको इन्हीं योजनाओं के बारे में जानकारी दे रहे हैं।
अटल पेंशन योजना: सरकार ने वर्ष 2015-16 में असंगठित क्षेत्र के लोगों के लिए, अटल पेंशन योजना की घोषणा की थी। इसपर पीएफआरडीए का नियंत्रण है और यह ग्राहक को 1000 रुपये और 5000 रुपये प्रति माह के बीच न्यूनतम मासिक पेंशन देता है। इस स्कीम का लाभ लेने के लिए 18 से 40 साल की उम्र तय की गई है। इस स्कीम में निवेशक को 60 वर्ष की आयु से मृत्यु तक पेंशन मिलती है।
इसके तहत अगर आपने 18 साल की उम्र से 210 रुपये के मासिक योगदान से शुरुआत करते हैं तो 42 वर्षों बाद 5,000 रुपये की पेंशन मिलने लगेगी। वहीं यदि 84 रुपये का मासिक योगदान भी देते हैं तो 60 वर्ष की उम्र तक आप 2000 रुपये की प्रतिमाह पेंशन सुनिश्चित करवा सकते हैं। इसी तरह अगर आपका निवेश 42 वर्षों तक हुआ है मसलन, आपने 18 वर्ष की उम्र से ही इस योजना को शुरू करवा दिया था तो आपको 60 वर्ष की उम्र के बाद 24,000 रुपये की सालाना पेंशन मिलने लग जाएगी।
निवेशक के निधन के बाद, पति-पत्नी को पेंशन जारी रहती है। पति या पत्नी के निधन के बाद जमा राशि (जो भी 60 वर्ष की आयु तक जमा हो गयी थी) आपके नामांकित व्यक्ति (नॉमिनी) को दे दी जाती है। अगर निवेशक के पति या पत्नी की मृत्यु निवेशक से पहले ही हो जाती है, तो जमा राशि (जो भी 60 वर्ष की आयु तक जमा हो गयी थी), निवेशक की मृत्यु के बाद नॉमिनी को दे दी जायेगी। जानकारी के लिए आपको बता दें कि इसमें पेंशन की रकम को बढ़ाकर 10,000 किए जाने की सिफारिश भी की जा चुकी है।
अटल की हामी के बाद किसानों को मिला किसान क्रेडिट कार्ड:
अटल बिहारी वाजपेयी के एक फैसले से देश के किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड का तोहफा मिला था, जिसकी घोषणा बजट में की गई। किसान क्रेडिट कार्ड से देश के किसानों को कम ब्याज पर 50 हजार रुपये तक का लोन आसानी से मिल जाता है। जानकारी के मुताबिक अटल बिहार वाजपेयी को यह आइडिया हुकुमदेव नारायण सिंह ने सुझाया था। अटल को यह आइडिया इतना पसंद आया था कि उन्होंने इस पर तुरंत हामी भर दी। हुकुमदेव नारायण सिंह तब किसान मोर्चा के अध्यक्ष थे।
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