दिल्ली सरकार के कड़े रुख और डीएमआरसी के प्रबंध निदेशक मंगू सिंह को हटाने की चेतावनी के बाद भी 10 अक्तूबर से मेट्रो के दूसरे चरण का किराया बढ़ना तय है। मेट्रो किराया बढ़ोतरी को रोकने के लिए दिल्ली सरकार की हर कोशिश नाकाम रही है। बोर्ड बैठक बुलाने का आखिरी रास्ता भी केजरीवाल सरकार के हाथ से निकल गया है, क्योंकि बोर्ड बैठक बुलाने के लिए कम से कम बोर्ड सदस्यों को सात दिन का नोटिस देना होता है। अगर बोर्ड चेयरमैन अंतिम समय में बोर्ड बैठक बुला भी लें, तो उसके पास किराया वापस लेने का कानूनी अधिकार नहीं है।
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केंद्रीय शहरी विकास मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने केजरीवाल के पत्र का जो जवाब दिया है, उसके मुताबिक सरकार के पास अब सिर्फ सब्सिडी देकर किराया रुकवाने के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं बचा है। केंद्र ने साफ कर दिया है कि 10 अक्तूबर को किराया समिति की सिफारिशों के मुताबिक बढ़ेगा।
दरअसल, दिल्ली सरकार ने शुक्रवार को जिस तरह मंगू सिंह को हटाने की चेतावनी दी, वह भी सरकार के हाथ में नहीं है। डीएमआरसी प्रबंध निदेशक को हटाने के लिए सरकार सिर्फ प्रस्ताव भेज सकती है, उसे हटाने के लिए एलजी की अंतिम मंजूरी चाहिए। यह 10 अक्तूबर से पहले होना नामुमकिन जैसा है। ऐसे में अब मेट्रो यात्रियों को 10 अक्तूबर से किराये की मार झेलने के लिए तैयार रहना चाहिए।
केंद्र के किराया रोकने से हाथ खींचने व सभी रास्ते लगभग बंद होने के बाद दिल्ली सरकार के प्रवक्ता नागेंद्र शर्मा ने हरदीप सिंह पुरी के जवाब पर ट्वीट कर विरोध जताया है। उन्होंने लिखा है कि अगर डीएमआरसी ने 8 साल से किराया नहीं बढ़ाया है, तो क्या अब उस घाटे की भरपाई दिल्ली की जनता करेगी। उन्होंने आगे लिखा कि यह हतप्रभ कर देने वाला तर्क है कि अगर आपने किराया नहीं बढ़ाया है, तो दिल्ली मेट्रो के यात्रियों उसका मुआवजा भरेंगे। केंद्र सरकार किराया नहीं रोक रही, क्योंकि यहां गुजरात जैसा चुनाव नहीं होने वाला है।