सनातन धर्मावलंबियों के प्रमुख चार त्योहारों में रक्षाबंधन का विशिष्ट स्थान है। भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक पर्व श्रावण पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। ऐसे में इसे श्रावणी या रक्षाबंधन भी कहते हैं। इस बार यह पर्व 26 अगस्त को मनाया जाएगा। सावन पूर्णिमा तिथि 25 अगस्त को दिन में 2.27 बजे लग रही है, जो 26 अगस्त को शाम 4.17 बजे तक रहेगी। 
आगे-पीछे रहने वाली भद्रा इस बार नहीं
इस बार रक्षाबंधन अपने आप में विशेष होगा। कारण यह कि सावन पूर्णिमा यानी रक्षाबंधन पर आमतौर पर आगे-पीछे भद्रा होती है, लेकिन इस बार भद्रा 25-26 की रात 3.21 बजे समाप्त हो जा रही है। इससे 26 अगस्त को बहनें सुबह से शाम तक भाई की कलाई पर कभी भी राखी सजा सकेंगी। इसमें भी अति शुभ समय सुबह 5.40 से 8.09 बजे तक रहेगा। हालांकि 26 अगस्त की शाम 4.18 बजे भाद्रपद प्रतिपदा तिथि लग जा रही है, जिसमें रक्षा सूत्र बांधना शास्त्र अनुसार वर्जित है। श्रीकाशी विद्वत परिषद के संगठन मंत्री ज्योतिषाचार्य पं. ऋषि द्विवेदी के अनुसार रक्षा पर्व श्रावण पूर्णिमा में ही मनाने का विधान है। ऐसे में शाम 4.17 बजे तक राखी बांधी जाएगी।
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