यूपी में भाजपा की अब तक की सबसे बड़ी जीत के बाद भाजपा की सरकार का मुख्यमंत्री कौन होगा? भाजपा का यूपी में मंत्रिमंडल गठन काफी बड़ा सवाल है. सिर्फ सीएम ही नहीं बल्कि यूपी सरकार में कौन-कौन नेता मंत्री होगें इस को भी लेकर प्रदेश भर में चर्चा है।
भाजपा ने पश्चिम से लेकर पूर्वांचल तक प्रचंड बहुमत हासिल किया है। पूरे प्रदेश से मिले जनादेश के सम्मान के लिए भाजपा क्षेत्रीय, जातीय और वर्गीय संतुलन के साथ ही आधी आबादी को भी मंत्रिमंडल में तरजीह देगी। इसके लिए उच्च स्तर पर होमवर्क शुरू हो गया है।
मुख्यमंत्री समेत 60 लोगों का मंत्रिमंडल बनना है। 14 वर्षों से उत्तर प्रदेश की सत्ता से बेदखल भाजपा के कई बड़े नेता इस चुनाव में जीते हैं। दिग्गज नेताओं की ही संख्या इतनी हो गयी है कि मंत्रिमंडल पूरा हो जाए लेकिन विधायकों की बड़ी भीड़ में चयन करना भाजपा के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। भाजपा में दलबदल कर आने वाले कई बड़े दावेदार भी हैं। ऐसे लोगों पर पार्टी कितना भरोसा करेगी, यह तो वक्त की बात है लेकिन भाजपा के प्रदेश प्रभारी ओमप्रकाश माथुर और प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य का कहना है कि जो भाजपा के टिकट पर जीत गया वह हमारी पार्टी का है।
ऐसे में जाहिर है कि दूसरे दलों से आये कुछ दिग्गजों को मंत्रिमंडल में जगह जरूर मिलेगी। आर्थिक संभाग में बंटे चार हिस्सों में पश्चिम, पूर्वांचल, मध्य और बुंदेलखंड का प्रतिनिधित्व होना लाजिमी है। वैसे ही बुंदेलखंड में हाशिए पर रहने वाली भाजपा ने इस बार चारों तरफ कमल खिलाया है। जातीय स्तर पर पिछड़ों के साथ सवर्ण और दलितों की नुमाइंदगी भी एक अहम चुनौती है। भाजपा ने इस बार चुनाव में महिलाओं के साथ होने वाले अपराध को सबसे प्रमुख मुद्दा बनाया।
जाहिर है कि महिलाओं को भी मंत्रिमंडल में भरपूर प्रतिनिधित्व मिलेगा। मंत्रिमंडल में युवाओं को इसलिए मौका मिल सकता है कि सरकार ने समयबद्ध तरीके से काम पूरा करने का वादा किया है। रेलवे के उच्च पद को छोड़कर राजनीति में आये लंभुआ से जीते देवमणि द्विवेदी जैसे लोग इस कसौटी के लिए उपुयक्त हो सकते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी को विशेष प्रतिनिधित्व के लिए वहां से जीते विधायकों को भी मौका मिल सकता है। मथुरा से जीते श्रीकांत शर्मा भाजपा के शीर्ष नेताओं के करीबी हैं। उनका नाम मुख्यमंत्री पद के लिए भी चल रहा है। बात नहीं बनी तो मंत्री बनना तय है। भाजपा अपने संगठन के कुछ प्रमुख नेताओं को भी मंत्रिमंडल में अवसर दे सकती है।
भाजपा के वरिष्ठ नेताओं में सुरेश खन्ना, राधा मोहन दास अग्रवाल, हृदय नारायण दीक्षित, सतीश महाना, जयप्रताप सिंह, पंकज सिंह, सिद्धार्थनाथ सिंह, सूर्य प्रताप शाही, जगन प्रसाद गर्ग, धर्मपाल सिंह, राजेन्द्र सिंह उर्फ मोती सिंह, उपेन्द्र तिवारी, दल बहादुर, सत्यप्रकाश अग्रवाल, कृष्णा पासवान, राजेश अग्रवाल, श्रीराम सोनकर, वीरेन्द्र सिंह सिरोही, रमापति शास्त्री, अक्षयवर लाल जैसे कई लोगों को मौका मिल सकता है। नेता प्रतिपक्ष रह चुके स्वामी प्रसाद मौर्य हों या एनसीपी के नेता रहे पूर्व मुख्यमंत्री वीरबहादुर सिंह के पुत्र पूर्व मंत्री फतेहबहादुर सिंह और रालोद के दल नेता रहे दलवीर सिंह की भी मंत्रिमंडल के लिए दावेदारी बढ़ गयी है। लखनऊ में कैंट और मध्य क्षेत्र से विजयी रीता बहुगुणा जोशी और बृजेश पाठक दूसरे दल से आये हैं लेकिनए वरिष्ठता को देखते हुए इन्हें मौका मिल सकता है। लखनऊ पूर्वी के आशुतोष टंडन भी मजबूत दावेदार हैं। अयोध्या में मंत्री को हराकर खोई प्रतिष्ठा वापस लाने वाले वेदप्रकाश गुप्ता, मधुबन में पहली बार कमल खिलाने वाले दारा सिंह चौहान और नकुड़ में पूर्व मंत्री धर्म सिंह सैनी को भी मौका मिल सकता है।
अल्पसंख्यक कोटे से होने की वजह से पलिया के विधायक हरिमिंदर सिंह उर्फ रोमी साहनी की लॉटरी लगनी तय मानी जा रही है। किसी मुस्लिम कार्यकर्ता को भी शपथ दिलाई जा सकती है। भाजपा ने किसी भी मुस्लिम को टिकट नहीं दिया था लेकिन शपथ दिलाने के बाद उन्हें विधान परिषद की सदस्यता दे सकते हैं।