2018-19 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ‘वंशवाद’ को मुख्य चुनावी मुद्दा बनाकर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को घेरने की तैयारी में है। संसद में पेश अविश्वास प्रस्ताव के जवाब में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद को ‘कामदार’ और राहुल गांधी को ‘नामदार’ यानि वंशवाद की उपज बताया।
ऐसे हालात में प्रदेश के उन नेता पुत्रों की चिंता ब़़ढ गई है, जो अपने रसूख के दम पर टिकट के लिए दावेदारी कर रहे हैं। पार्टी के ही दिग्गजों का मानना है कि जब हाईकमान ही ‘कामदार’ और ‘नामदार’ के बीच लड़ाई लड़ रहे हैं तो फिर प्रदेश में नेता पुत्रों को पार्टी कैसे टिकट दे सकती है।
मप्र में टिकट की दौ़ड़ में ‘नामदार’
कार्तिकेय सिंह चौहान: मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के पुत्र हैं। किरार–धाक़़ड समाज और भारतीय जनता पार्टी के मंच से राजनीतिक गतिविधियों में सक्रिय हैं। हालांकि कार्तिकेय अभी 25 वर्ष के नहीं हैं।
आकाश विजयवर्गीयः भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के बेटे हैं। राजनीति विरासत में मिली है। विधानसभा चुनाव में भाग्य आजमाना चाहते हैं।
अभिषषेक भार्गव: प्रदेश के वरिष्ठ मंत्री गोपाल भार्गव के बेटे हैं। भाजयुमो के प्रदेश अध्यक्ष पद की दौ़ड़ में भी रहे। 2014 के लोकसभा चुनाव में टिकट की भरसक कोशिश की थी।
सिद्धार्थ मलैया: वित्त मंत्री जयंत मलैया के पुत्र हैं। दमोह विधानसभा से पिता के उत्तराधिकारी बनना चाहते हैं।
मुदित शेजवार: अनुसूचित जाति वर्ग के मंत्री डॉ. गौरीशंकर शेजवार की सांची ([सुरक्षित)] विधानसभा क्षेत्र से दावेदारी। स्वास्थ्य कारणों से डॉ. शेजवार भी बेटे को चुनाव ल़़डवाना चाहते हैं।
राजेश सिंह सोलंकी: हरियाणा के राज्यपाल कप्तान सिंह सोलंकी के पुत्र फिलहाल प्रदेश भाजपा में सक्रिय हैं। ग्वालियर ([पूर्व)] से टिकट की जोड़तोड़ में हैं।
मंदार महाजन: लोकसभा में स्पीकर सुमित्रा महाजन के बेटे मंदार पिछले चुनाव से ही इंदौर ([विधानसभा क्रमांक तीन)] से टिकट की दावेदारी कर रहे हैं।
देवेंद्र प्रताप सिंह: केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के बेटे देवेंद्र प्रताप सिंह भी राजनीति में सक्रिय हैं। देवेंद्र ग्वालियर की राजनीति में जाना पहचाना नाम हैं और अपने लिए सीट तलाश रहे हैं।
कृष्णा गौर: पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर की पुत्रवधू हैं। भोपाल की महापौर रह चुकी हैं। इनकी गोविंदपुरा सीट से प्रबल दावेदारी है।
और भी हैं कतार में
केंद्रीय पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के बेटे राघवेंद्र सिंह तोमर, विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीतासरन शर्मा के भतीजे पीयूषष शर्मा, जनसंपर्क मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्र के बेटे सुकर्ण मिश्र, सांसद प्रभात झा के बेटे तुष्मुल झा, पूर्व भाजपा प्रदेशाध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान के बेटे हषर्षवर्धन सिंह चौहान, पूर्व मंत्री कैलाश चावला के बेटे सोनू चावला, राज्य मंत्री सूर्यप्रकाश मीणा के बेटे देवेश मीणा भी सक्रिय राजनीति में हैं।
अभी भी है वंशवाद की झलक
भाजपा की मौजूदा सरकार में भी वंशवाद की झलक दिखती है। पूर्व मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा के भतीजे सुरेंद्र पटवा, पूर्व मुख्यमंत्री कैलाश जोशी के बेटे दीपक जोशी, पूर्व सांसद कैलाश सारंग के बेटे विश्वास सारंग, पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल के भाई जालम सिंह पटेल शिवराज कैबिनेट के सदस्य हैं।
इसी तरह पूर्व मुख्यमंत्री वीरेंद्र कुमार सखलेचा के बेटे ओमप्रकाश सखलेचा, केंद्रीय सामाजिक न्याय अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत के बेटे जितेंद्र गहलोत, पूर्व केंद्रीय मंत्री विक्रम वर्मा की पत्नी नीना वर्मा, पूर्व मंत्री ज्ञान सिंह के बेटे शिवनारायण सिंह, पूर्व केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते के भाई रामप्यारे कुलस्ते विधायक हैं।
भरोसा कामदारों पर
भाजपा में चाहे नेता पुत्र हों या कोई और, टिकट काम के आधार पर ही दिए जाते हैं। देश ने कांग्रेस का वंशवाद देखा है और रिजेक्ट भी किया है। भाजपा सिर्फ कामदारों पर ही भरोसा करती है। -डॉ. विनय सहस्त्रबुद्धे, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भाजपा, प्रदेश प्रभारी मप्र