वित्त वर्ष 2024-25 की तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर 2024) में भारत की आर्थिक वृद्धि 6.2% रही। यह कमी मुख्य रूप से निर्माण और खनन क्षेत्रों के कमजोर प्रदर्शन के कारण आई है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) द्वारा शुक्रवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, पिछले साल इसी अवधि में 9.5% की वृद्धि दर्ज की गई थी। वहीं, मौजूदा चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर 2024) में 5.6% की ग्रोथ हुई थी।
जीडीपी ग्रोथ का डेटा बताता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था ने सालाना आधार पर कमजोर प्रदर्शन किया है। हालांकि, तिमाही आधार पर इसमें रिवाइल के संकेत नजर आ रहे हैं। NSO ने 2024-25 के लिए विकास दर 6.5% रहने का अनुमान लगाया है। जनवरी 2025 में जारी पहली अग्रिम अनुमान में इसे 6.4% आंका गया था। साथ ही, 2023-24 के लिए GDP वृद्धि दर को संशोधित कर 9.2% कर दिया गया है, जो पहले 8.2% आंकी गई थी।
मौजूदा वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही की जीडीपी ग्रोथ आंकड़ा अर्थशास्त्रियों के अनुमान के अनुसार ही है। लेकिन जुलाई-सितंबर तिमाही के संशोधित 5.6 फीसदी की वृद्धि दर से अधिक है। इकोनॉमिक एक्सपर्ट का अनुमान था कि सरकार के बढ़ते खर्च और शहरी खपत में सुधार के कारण मौजूदा वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में GDP ग्रोथ 6.2 से 6.3 फीसदी के बीच रह सकती है।
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