उत्तराखंड पहुंचे धूलिया ने मीडिया से मुखातिब होते हुए कहा कि, उत्तराखंड में वो तमाम लोकेशन है, जो स्विट्जरलैंड में है। खूबसूरत झरने हैं, बुग्याल है, नदियां है, बर्फ से लकदक पर्वत श्रखंलायें हैं और जंगल हैं। फिर भी फिल्म निर्माता स्विट्जरलैंड का रुख करते हैं।
इसका एकमात्र कारण यह है कि, उत्तराखंड में फिल्म निर्माण करना यूरोप के विभिन्न लोकेशन से महंगा सौदा साबित होता है। बताया कि हवाई टिकट से लेकर लोकेशन तक जाना और रहना खाना और अन्य चीजें भी बजट बिगाड़ देती हैं।
बताया कि, उन्होंने रागदेश फिल्म की शूटिंग उत्तराखंड में की। एक यूनिट में करीब ढाई सौ के करीब स्टाफ होता है। जरूरत पढ़ने पर कई को बुलाया भी जाता है और वापस भेजा भी जाता है। इतने लोगों का हवाई जहाज का किराया मुबई से यूरोप जाने से भी महंगा पड़ता है।
उन्होंने कहा कि, उत्तराखंड सरकार को तत्काल फिल्म नीति बनानी चाहिए। कहा कि स्विट्जरलैंड सब्सिडी देता है तो फिल्म निर्माता वहां जाते हैं। प्रदेश सरकार को भी सब्सिडी देनी चाहिए। धूलिया ने बताया कि उत्तर प्रदेश, झारखंड, बिहार आदि राज्यों की तरह उत्तराखंड में भी सब्सिडी होनी चाहिये। चाहे तो सरकार कड़े मानक कर दे। जिससे केवल गंभीर फिल्म मेकर ही यहां आ सकें।
इससे उत्तराखंड की खूबसूरती को लोग देश विदेशों तक में जान सकेंगे। सरकार चाहे तो सब्सिडी राशि सेंसर बोर्ड के रिलीज सर्टिफिकेट जारी करने के बाद अवमुक्त करे। जिससे केवल सब्सिडी के लिये फिल्म बनाने वालों पर रोक लगे।