भारत ड्रोन उत्पादन बढ़ाने के लिए तीन गुना करेगा निवेश

हालिया संघर्ष में बड़े पैमाने पर ड्रोन के इस्तेमाल के बाद भारत और पाकिस्तान दोनों ड्रोन हथियारों की रेस में शामिल हो गए हैं। पाकिस्तान जहां इसके लिए चीन और तुर्किए पर निर्भर है, वहीं भारत ने इसके लिए घरेलू उद्योग में निवेश करने का फैसला किया है।

घरेलू स्तर पर ड्रोन उत्पादन बढ़ेगा
भारत अगले एक से दो वर्ष में घरेलू स्तर पर ड्रोन उत्पादन बढ़ाने के लिए ऑपरेशन सिंदूर से पहले की तुलना में लगभग तीन गुना यानी लगभग चार हजार करोड़ रुपये (47 करोड़ डॉलर) का निवेश कर सकता है।

15 लोगों का साक्षात्कार किया गया
‘रॉयटर’ ने इस संबंध में दोनों देशों में सुरक्षा अधिकारियों, उद्योग के कार्यकारी अधिकारियों और विश्लेषकों समेत 15 लोगों का साक्षात्कार किया। उनमें से दो ने कहा कि दोनों परमाणु शक्ति संपन्न पड़ोसियों ने ड्रोन का अधिक उपयोग किया क्योंकि छोटे पैमाने पर ड्रोन हमले सैनिकों को जोखिम में डाले बिना या अनियंत्रित तनाव को भड़काए बिना लक्ष्य को निशाना बना सकते हैं।

भारत में 550 से अधिक कंपनियों का प्रतिनिधित्व करने वाले ड्रोन फेडरेशन इंडिया के स्मित शाह ने कहा कि भारत अगले 12 से 24 महीनों में ड्रोन पर 47 करोड़ डॉलर से अधिक खर्च कर सकता है।

भारत ने सैन्य खरीद के लिए 4.6 अरब डॉलर स्वीकृत किए
भारत ने इसी महीने आपातकालीन सैन्य खरीद के लिए 4.6 अरब डॉलर स्वीकृत किए हैं। मामले से जुड़े दो अधिकारियों ने बताया कि इसमें से कुछ राशि काम्बैट और सर्विलांस ड्रोन पर खर्च की जा सकती है।

यूएवी कंपनी आइडिया फोर्ज टेक्नोलाजी के वाइस प्रेसिडेंट विशाल सक्सेना ने कहा कि भारत में रक्षा खरीद में वर्षों लगते हैं, लेकिन आजकल अधिकारी अभूतपूर्व गति से ड्रोन निर्माताओं को ट्रायल और डेमोस्ट्रेशन के लिए बुला रहे हैं।

भारत यूएवी बैटरी के लिए चीन पर निर्भर
चार भारतीय ड्रोन निर्माताओं और अधिकारियों ने कहा कि एक कमजोरी का समाधान कठिन है। वह है भारतीय ड्रोन कार्यक्रम की चीन से आयातित अहम कंपोनेंट्स पर निर्भरता। ड्रोन फेडरेशन इंडिया के शाह ने कहा कि भारत यूएवी बैटरी के लिए चीन निर्मित मैग्नेट और लिथियम पर निर्भर है।आइडिया फोर्ज के सक्सेना ने कहा, ”आपूर्ति श्रृंखला का शस्त्रीकरण भी मुद्दा है।”डिफेंस इंटेलीजेंस कंपनी जेंस के ओशी मजूमदार ने कहा कि पाकिस्तान मौजूदा संबंधों को बढ़ावा देकर घरेलू ड्रोन अनुसंधान और उत्पादन क्षमताओं को आगे बढ़ाने के लिए चीन एवं तुर्किए के साथ सहयोग को तेज कर सकता है।

पाकिस्तान पूरी तरह से चीन पर निर्भर
पाकिस्तानी सूत्र ने कहा कि पाकिस्तान अपने नेशनल एयरोस्पेस साइंस एंड टेक्नोलाजी पार्क और तुर्किए की डिफेंस कांट्रेक्टर बायकर के बीच सहयोग पर निर्भर है, जो स्थानीय रूप से यीहा-3 ड्रोन को असेंबल करता है।

देश में विकसित होगा इलेक्टि्रक 2-सीटर प्रशिक्षण विमान
केंद्रीय मंत्री डा. जितेंद्र सिंह ने मंगलवार को कहा कि भारत ने अगली पीढ़ी के दो सीट वाले इलेक्टि्रक हंस (ई-हंस) विकसित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। स्वदेशी रूप से विकसित ई-हंस प्रशिक्षण विमान की लागत लगभग दो करोड़ रुपये होने की उम्मीद है, जो आयातित विमानों की तुलना में काफी कम है।

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