चीन और पाकिस्तान से चल रहे सीमा विवाद को लेकर जारी तनाव को भारत काफी गंभीरत से ले रहा है। दोनों देशों की ओर से मिल रही लगातार धमकियों से लोहा लेने के लिए भारती सेना ने हथियारों के आधुनिकीकरण पर जोर दिया है। इसके लिए भारतीय सेना ने अगले 5 सालों के रक्षा बजट की मांग की है, जिसमें मुख्यत हथियारों के आधुनिकीकरण पर जोर दिया जाएगा।
एक अंग्रेजी अखबार की खबर के मुताबिक, सेना ने 2017-2022 तक का करीब 27 लाख करोड़ का रक्षा बजट तय किया गया है। 10-11 जुलाई को डीआरडीओ (DRDO) समेत सभी हितधारकों के साथ व्यापक परामर्श के बाद यूनिफाइड कमांडरों के सम्मेलन में 2017-2022 के लिए 13वीं समेकित रक्षा योजना पेश की गई, जिसका अनुमान 26,83,924 करोड़ रुपये का है।
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रक्षा बजट में बढ़ोतरी की मांग ऐसे समय में आई है, जब सिक्किम में चीन के साथ टकराव चल रहा है और एलओसी पर पाकिस्तान के साथ लगातार गोलीबारी हो रही है। बताया जा रहा है कि सशस्त्र बलों ने 13 वीं योजना को जल्द मंजूरी देने पर जोर दिया, क्योंकि उनकी वार्षिक अधिग्रहण योजनाएं इसके आधार पर हैं। दरअसल, भारत और भूटान का चीन के साथ सिक्किम-भूटान-तिब्बत ट्राई-जक्शन पर विवाद चल रहा है। साथ ही चीन की ओर भारत को लगातार बॉर्डर पर मनमानी की जा रही है और इसलिए भारत ने अपनी सेना के आधुनिकीकरण पर जोर देना शुरू कर दिया।
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केंद्रीय रक्षा मंत्री अरुण जेटली ने इस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया और आर्मी को भरोसा दिलाया कि सेना का आधुनिकीकरण जरूरी है। लेकिन यह भी सच है कि वास्तविक वार्षिक रक्षा बजट में गिरावट की वजह से आधुनिकीकरण बजट लटका हुआ है और इसका मतलब है कि सेना, नौसेना और भारतीय वायुसेना अभी भी महत्वपूर्ण परिचालन घाटे से जूझ रही है
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इसके अलावा, 2.74 लाख करोड़ रुपये का रक्षा बजट अनुमानित सकल घरेलू उत्पाद का 1.56% है, जो चीन के साथ 1962 के युद्ध के बाद से सबसे कम आंकड़ा है। एक सूत्र ने बताया कि वे रक्षा बजट में तेजी चाहते हैं ताकि इसका आंकड़ा जीडीपी के कम से कम 2% तक पहुंच सकें।