भारत में डाटा प्रोटेक्शन की चुनौतियों से निबटने के लिए गूगल पूरी तरह से तैयारी करने में जुटा है। गूगल का कहना है कि स्थानीय स्तर पर डाटा संग्रहित करने के लिए बहुत बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर की जरूरत है और यह इतना आसान नहीं है। गूगल का यह बयान तब आया है, जब गूगल भारत सरकार के कई फ्यूचर टेक्नोलॉजीज पर साथ काम कर रहा है, जिसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग और इंटरनेट ऑफ थिंग्स शामिल हैं। इन सभी में डाटा प्रोटेक्शन अहम मुद्दा होगा।
गूगल इंडिया और साउथ ईस्ट एशिया के वाइस प्रेसिडेंट राजन आनंदन के मुताबिक गूगल डाटा लोकेलाइजेशन पर भारतीय कानूनों को पूरी तरह से लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है। उनके मुताबिक गूगल अपने ग्राहकों को यह विकल्प भी दे रहा है कि उनका कितना निजी डाटा स्टोर हुआ है। उनके मुताबिक गूगल ‘सही उत्तर’ के लिए उद्योग संघों और सरकारों के साथ मिल कर काम कर रहा है, जो देश और ग्राहकों के हित में होगा।
आनंदन के मुताबिक, आज वैश्विक इंटरनेट अर्थव्यवस्था का जमाना है और जाहिर है कि जब आप इसके किसी भी पहलू को बदलते हैं, तो आपको उस चीज के बारे में बहुत विचार करना होगा, जिसे आप बदलना चाहते हैं। क्योंकि इसका असर कई सारी चीजों पर पड़ेगा।
आरबीआई ने दी थी डेडलाइन
गौरतलब है कि पिछले माह ही आरबीआई ने भारत में ऑपरेट कर रहीं सभी पेमेंट कंपनियों से 6 माह के भीतर देश में डाटा स्टोरेज की सुविधा देने के लिए कहा था। अपने नोटिफिकेशन में आरबीआई ने कहा था कि ऐसे वक्त में जब भारत में पेमेंट इकोसिस्टम डेवलप हो रहा है, तो नेटवर्क की बेहतर निगरानी के लिए ट्रांजेक्शन डाटा पर ‘पर्यवेक्षी पहुंच’ बनाने की जरूरत है।