जम्मू-कश्मीर में चेनाब नदी के ऊपर बन रहा विश्व का सबसे ऊंचा रेलवे पुल अपने बनने के आखिरी चरण में है. 5 नवंबर को इस पुल पर 47 मीटर लंबा आर्क लगाने का काम शुरू होगा. 23 टन वजनी आर्क को लगाने के लिए दुनिया की सबसे बड़ी केबल क्रेन लगाईं जाएगी. यह पहला मौका है जब देश के किसी ब्रिज को बनाने दुनिया की सबसे बड़ी क्रेन लगेगी.

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रेलवे अधिकारियों की मानें तो यह पुल दिल्ली के कुतुब मीनार से 5 गुना ज्यादा ऊंचा होगा. यही नहीं, पेरिस के एफिल टावर से भी ज्यादा इसकी ऊंचाई होगी.
यह पुल बारामूला को उधमपुर-कटरा-काजीगंद के रास्ते जम्मू से जोड़ेगा. इस पुल से होकर बारामूला से जम्मू तक का रास्ता तकरीबन साढ़े छह घंटे में तय किया जा सकेगा. अभी यह रास्ता तय करने में दोगुना समय (13 घंटे) लगता है.
इस पुल को बनाने का काम अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्री रहते 2002 में शुरू हुआ था. परंतु 2008 में इसे असुरक्षित करार देते हुए इस पर काम रोक दिया गया.
हालांकि, 2010 में पुल का काम फिर से शुरू कर दिया गया है. यह पुल अब एक नेशनल प्रोजेक्ट घोषित हो चुका है.
इस पुल के आस-पास ढाई सौ किलोमीटर की सड़क का निर्माण भी रेलवे की ओर से किया जा रहा है. इस सड़क पर लगभग 2 हजार करोड़ रुपए की लागत आएगी.
इस पुल के निर्माण में स्टील प्लेट्स स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया के भिलाई प्लांट से मंगाई गई हैं तो ग्रिडर्स पुल के पास ही बनाए गए फेब्रिकेशन वर्कशॉप में तैयार किए जा रहे हैं. चूंकि पुल घुमावदार है तो ज्यादा सतर्कता बरतने की जरूरत है. जिस तकनीक के साथ यह पुल बनाया जा रहा है, वह अपने आप में खास है. पूरे देश में इस शैली के सिर्फ 6 ही पुल हैं.
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