वाशिंगटन। भारत के कैशलेस अर्थव्यवस्था की तरफ कदम बढ़ाने से अमेरिका काफी कुछ सीख सकता है। सिलिकन वैली के एक विशेषज्ञ ने रेखांकित किया है कि कुछ साधारण और व्यावहारिक पद्धति अपना कर भारत, अमेरिकी तकनीकी उद्योग से बहुत आगे निकल सकता है।
डिजीटल अर्थव्यवस्था पर सिलिकन वैली के शीर्ष विशेषज्ञ विवेक वाधवा ने कहा है, “साधारण और व्यावहारिक पद्धति अपना कर भारत, अमेरिकी तकनीकी उद्योग से बहुत आगे जा सकता है। भारत ने डिजीटल ढांचा तैयार किया है। यह ढांचा अभी तक व्यवहार किए जा रहे बिटकॉइन के मुकाबले शीघ्रता से अरबों का प्रोसेस कर देगा।”
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इसके साथ ही भारत दो पीढ़ियों की वित्तीय तकनीक को पार कर लेगा। वह चीन की दीवार और अमेरिका के अंतरराज्यीय राजमार्ग की तरह का कोई यादगार ढांचा खड़ा कर लेगा।
वाधवा ने तर्क दिया है कि भारत द्वारा लांच संगठित भुगतान इंटरफेस (यूपीआइ) ने कई अरब प्रोसेस होने का अनुमान लगाया है। इसमें क्रेडिट कार्ड की तरह ट्रांजेक्शन कास्ट शून्य है। उन्होंने कहा है, “अमेरिका में यूपीआइ से भुगतान करने में कोई तकनीकी बाधा नहीं है। कुछ सेकेंड में ही ट्रांसफर हो जाएगा। इसमें बिटकॉइन के मुकाबले कम समय लगता है। बिटकॉइन में 10 मिनट तक समय लगता है।”
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भारतीय-अमेरिकी विशेषज्ञ ने दूसरे भारतीय आविष्कार इंडिया स्टेक की भी सराहना की है। यह सुरक्षित और कनेक्टेड सिस्टम है। इसमें लोग पता, बैंक स्टेटमेंट, मेडिकल रिकॉर्ड, रोजगार रिकॉर्ड और कर भुगतान जैसे आंकड़े जमा कर सकते हैं और उसे साझा भी कर सकते हैं। यह दस्तावेजों के डिजीटल हस्ताक्षर करने में भी सक्षम है।