देश में भीड़ की हिंसा के बढ़ते मामलों पर आज लोकसभा में चर्चा होनी है. विपक्ष की मांग है कि गोरक्षा के नाम पर हो रही भीड़ की हिंसा के मुद्दे पर चर्चा के दौरान प्रधानमंत्री सदन में मौजूद रहें. कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और टीएमसी नेता सौगत राय प्रश्नकाल के बाद इस मुद्दे पर चर्चा शुरू कर सकते हैं. इससे पहले भी सदन में भीड़ की हिंसा के मुद्दे पर सत्ता पक्ष और विपक्ष में तीखी नोकझोंक हुई थी.
भीड़ की हिंसा के सवाल पर बुधवार को भी राज्यसभा में जमकर हंगामा हुआ. विपक्ष ने ऐसे अपराध में शामिल दोषियों के खिलाफ एक नया कानून बनाने की मांग की, लेकिन सरकार ने ये मांग खारिज कर दी. भीड़ की हिंसा को केंद्र सरकार ने कभी गंभीरता से नहीं लिया… विपक्ष ने ये आरोप लगाते हुए राज्यसभा में नया कानून बनाने की मांग की. समाजवादी पार्टी के नेता नरेश अग्रवाल ने कहा था कि पिछले कुछ महीनों में ऐसी करीब 50 घटनाएं हो चुकी हैं और पूछा कि क्या सरकार ऐसे अपराधों से निपटने के लिए नया कानून बनाने पर विचार कर रही है. सपा संसदीय दल के नेता रामगोपाल यादव ने कहा कि आज जिनके पास गाय नहीं है वो भी आज समाज में गोरक्षक बनकर घूम रहे हैं और ऐसी हिंसक घटनाओं से निपटने के लिए अलग से कानून बनना चाहिए.
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कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने कहा था कि नफरत के बीज बोने के कारण एक टार्गेटेड भीड़ द्वारा मॉब लिन्चिंग हो रही है. मैं मंत्री जी से ये पूछना चाहता हूं कि पुलिस व्यवस्था राज्य के अधीन है, लेकिन देश की CRPC और IPC में परिवर्तन करने का अधिकार आपके पास है. क्या केन्द्र सरकार का आज की बदली हुई परिस्थिति में मॉब लिन्चिंग के लिए CRPC और IPC के प्रावधान बदलने का कोई इरादा है?”
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सरकार की तरफ से जवाब गृह राज्यमंत्री हंसराज अहीर ने दिया. उन्होंने याद दिलाया कि प्रधानमंत्री पहले ही गोरक्षा के नाम पर हो रही हिंसा के खिलाफ सख्ती से निपटने की बात कह चुके हैं. अहीर ने कहा था कि आज देश में जो IPC कानून है, उसमें कार्रवाई करने का अधिकार राज्य सरकारों को है. मुझे नहीं लगता कि मौजूदा कानून में संशोधन करने की ज़रूरत है”.