इतिहास गवाह है कि हमारे समाज में स्त्रियों को हमेशा सम्मान दिया गया है, और उनका आदर किया जाता है. जननी के रूप में जहां स्त्रि के रूप को पूजा जाता है.वहीं पत्नी के रूप में उसकी सराहना की जाती है.महिलाओं के विषय में कई ग्रंथों में अलग-अलग बातें बताई गई है.
कहीं उनके रूप की चर्चा की जाती है तो कहीं उनके त्याग की गाथा सुनाई जाती है.तो कुछ ग्रंथों में उनके कर्तव्य एवं व्यवहार की तुलना की जाती है.इसी तरह महाभारत में भी स्त्रियों के विषय में कुछ विशेष बातें बताई गई है.जिनके बारे में हम आज यहां पर चर्चा करेंगे. यह बातें भीष्म पितामह ने तीरों की शैया पर लेटे हुए युधिष्ठिर को बताई थी.भीष्म पितामह ने युधिष्ठिर को बताया था कि जिस घर में स्त्रियों का अनादर होता है वहां के सारे काम असफल हो जाते हैं. जिस कुल की बहू बेटियों को दुख मिलने के कारण शोक होता है उस कुल का नाश हो जाता है. प्रसन्न रखकर पालन करने से घर में लक्ष्मी का वास होता है.
स्त्रियों को मां लक्ष्मी के समान माना जाता है, जिस घर में स्त्रियों का सम्मान देवी के समान होता है उस घर में धन-धान्य एवं संपत्ति की कभी कमी नहीं होती.हमेशा से ये बात पुराने समय से ही उठती रही है कि हमे हमेशा महिलाओं का लड़कियों का सम्मान करना चाहिए लेकिन बहुत से लोग हैं जो इन बातों पर ध्यान नहीं देते.जिस घर में महिलाओं को इज्जत और मान मिलता है वो घर हमेशा खुशियों से भरा रहता है और ये कोई झूठ नहीं बल्कि बहुत बड़ी सचाई है.
महाभारत के इस प्रसंग के अनुसार उसी घर में प्रसन्नता का वास होता है जहां स्त्री प्रसन्न हो। जिस घर में स्त्री दुखी होती है, उसका सम्मान नहीं होता, वहां से लक्ष्मी और देवता भी चले जाते हैं। ऐसे स्थान पर विवाद, कटुवचन, दुख और अभावों की ही प्रबलता होती है। जिस परिवार में बेटी और स्त्री को दुख मिलता है वह परिवार भी दुखों से बच नहीं सकता। उसे दुखों की प्राप्ति होती है। यह दुख शोक में परिवर्तित हो सकता है। अतः परिवार में बेटी हो या बहू, उसका सम्मान करना चाहिए। जहां इनका सम्मान होता है वहां देवगण भी निवास करते हैं।
हम अपने पाठकों से एक ही निवेदन करना चाहते हैं हमेशा अपने घर में महिलाओं का सम्मान करें कभी भी उन्हें कोई दुःख ना पहुंचाए क्योंकि अगर आपके घर में महिलाएं सुखी हैं तो समझ लीजिए दुःख कभी आपके घर की तरफ मुहं भी नहीं करेगा !