ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर के एसयूएम अस्पताल के आईसीयू में आग हादसे ने 19 जिंदगियां लील ली हैं। लापरवाही और बदइंतजामी की भेंट चढ़े निर्दोष लोगों की यह कोई पहली खबर नहीं है। बीते कुछ सालों में देश में जिस तीव्र गति से बड़ी बड़ी इमारतें बनी हैं, उतनी ही तेजी से आग हादसे की खबरें भी आने लगी हैं। अस्पतालों में आग लगने की खबरें ज्यादा चौंकाती हैं क्योंकि वहां भर्ती मरीज अपनी रक्षा करने में पूरी तरह सक्षम नहीं होते हैं। भुवनेश्वर से आई ऐसी ही खबर के बाद आइए एक नजर बीते कुछ समय के बड़े हादसों पर डालते हैं-
9 दिसंबर 2011: कोलकाता के एएमआरआई अस्पताल में आग का हादसा बीते कुछ सालों में आई सबसे दर्दनाक खबर है। इस हादसे में 90 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी। हॉस्पिटल के बेसमेंट से शुरू हुई आग ने पूरी इमारत को कब्जे में ले लिया, जिसे बुझाने में 5 घंटे का वक्त लगा।
27 अगस्त 2016: पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले के मुर्शिदाबाद मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में आग हादसा हुआ। इसमें दो महिलाओं की मौत हो गई। एक शिशु की भी जान गई थी। कई अन्य घायल हुए थे। यह शॉर्ट सर्किट की वजह से हुआ था।
21 अप्रैल 2016: मध्य दिल्ली के लेडी हार्डिग अस्पताल के प्रथम तल पर आग हादसा हुआ। दोपहर लगभग 12.20 बजे ये हादसा हुआ। आग शॉर्ट-सर्किट की वजह से लगने का संदेह था। हालांकि इसमें कोई घायल नहीं हुआ।
14 जुलाई 2016: गाजियाबाद के एक सरकारी महिला अस्पताल में आग लगी। आग पोस्टमॉर्टम केंद्र में शॉर्ट सर्किट के कारण लगी। दमकल की दो गाड़ियों ने एक घंटे के अंदर आग पर काबू पा लिया। आग से 50 हजार रुपये की संपत्ति का नुकसान हुआ। आग के कारण का पता नहीं चल सका।
12 जून 2016: मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ में जिला अस्पताल की गहन शिशु चिकित्सा इकाई में 15 घंटे के भीतर दो बार आग लगी। आउट बॉर्न यूनिट में भर्ती 25 बच्चे मौत से जूझते रहे जिन्हें मशीनों से निकालकर शिफ्ट किया गया। हादसे के 6 घंटे बाद अफसर अस्पताल पहुंचे।