दिवाली की रात्री को भगवती लक्ष्मी गृहस्थों के घर का भ्रमण करती हैं। वह यह देखती हैं कि किसका घर मेरे रहने योग्य हैं। जहां कहीं उन्हें अपने अनुकूल निवास दिखाई देता है, वह वहीं रहने लग जाती हैं। इसलिए इस दिन अपने घर को ऐसा बनाना चाहिए कि माता को हमारा घर पंसद आ जाए।
कैसा हो घर
श्रीमद्देवीभागवत एनं अन्य पुराणों में महालक्ष्मी के रहने के पंसद के स्थानों का वर्णन है। लक्ष्मीजी वहां रहना पसंद करती हैं, जहां क्लेश नहीं हो, जहां परिवार के एवं पति-पत्नि के मध्य कलह नहीं होता हो, जिस घर में सफाई एवं स्वच्छता का ध्यान रखा जाता हों। जिस घर के लोग दिन में और खासतौर पर शाम के समय नहीं सोते हों। जो प्रतिदिन मुख शुद्धि करता हो, जो दिन में एवं शाम के समय स्त्री संग नहीं करता हो। जहां नारी का सम्मान होता हो। परस्त्री एवं परपुरुष पर कुदृष्टि नहीं हो।
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लक्ष्मी को वहां निवास करना सदा प्रिय होता है जहां रुद्र, विष्णु के नामों एवं उनके अवतारों का पूजन होता हो। जहां शंख एवं घडिय़ालों की ध्वनि होती हो, जहां तुलसी के पौधे हों, जहां नशीले पदार्थो का सेवन नहीं होता हो।
जहां लोग शनिवार को तेल लगाते हो, बुधवार एवं शुक्रवार को क्षौर कर्म करवाते हो, एकादशी एवं जन्माष्टमी को अन्न का दर्शन नहीं करते हों वहां लक्ष्मी सदा निवास करती हैं। जहां माता-पिता का सम्मान होता हो, जीवन साथी का आदर होता हो, जहां खुद खाने से पहले बच्चों, बुजुर्गो, देवता, पितर, गाय, काक को दिया जाता हो वहां लक्ष्मी सदा निवास करती हैं। कहा जाता है कि उपरोक्त गुणों का अभाव होने पर चाहे कितनी सही तरीके से लक्ष्मी का पूजन किया हो वहां लक्ष्मी नहीं जाती।
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