हमारा देश आध्यात्मिकता से जुड़ा हुआ है इसी कारण से यहां बहुत से मंदिर स्थापित है जो व्यक्ति की आस्था का मुख्य केंद्र है जहां जाकर व्यक्ति के मन को एक दिव्य अनुभूति होती है और व्यक्ति अपने सभी दुखों को कुछ क्षण के लिए भूलकर भगवान् की भक्ति में लग जाता है. लेकिन क्या आप जानते है की मंदिर में जाने के पूर्व मंदिर के द्वार पर लगी घंटी क्यों बजाई जाती है? आइये जानते है.
शास्त्रों में मंदिर की घंटी से निकलने वाली ध्वनि को बहुत ही पवित्र माना गया है घंटी की पवित्र ध्वनि जब वातावरण में गूंजती ही तो चारो तरफ मांगलिक आभा बिखर जाती है. इसकी ध्वनि से नकारात्मकता दूर भागती है और सकारात्मकता का संचार होता है.
जब हम मंदिर में प्रवेश करते है तो घंटी बजाकर भगवान् के समक्ष अपनी उपस्थिति दर्ज करते है. व घंटी की ध्वनि मंदिर में विराजित देवी या देवता को चैतन्य कर देती है जिसके कारण हमारे द्वारा की गई प्रार्थना ईश्वर तक पहुँचती है.
घंटी आध्यात्म से सम्बंधित होने के कारण इसे बजाने पर मन को शांति प्राप्त होती है और दैवीय अनुभूति का एहसास भी होता है. घंटी के ध्वनि इस बात की भी पुष्टि करती है की जहाँ इसकी ध्वनि लगातार सुनाई देती है वहीँ आस-पास कोई धार्मिक पवित्र स्थल अवश्य होता है.
वैज्ञानिक तर्क – वैज्ञानिकों का मानना है की जिस स्थान पर घंटी बार-बार बजाई जाती है इससे उस स्थान पर कंपन पैदा होता है जो वहां के वातावरण में विद्यमान सभी जीवाणुओं व विषाणुओं को नष्ट करके वातावरण को शुद्ध बनाता है. घंटी के निर्माण में कैडमियम, जिंक, निकेल, क्रोमियम और मैग्नीशियम जैसी धातुओं का प्रयोग होता है जसके बजने से व्यक्ति के दिमाग और मन में संतुलन बन जाता है जिससे उसके मन को आनंद की अनुभूति होती है.
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