थाइलैंड में रहने वाले एक मछुआरे की किस्मत खुल गई है. 20 साल के चालेरम्चाए महापन को समुद्र किनारे ऐसी अनोखी चीज मिली जिसके बारे में उसे कोई अंदाजा नहीं था लेकिन जब वो इसे घर लेकर आया और जब उसे इस दुर्लभ चीज की कीमत के बारे में पता चला तो वो हैरान रह गया.
दरअसल ये मछुआरा सोंगख्ला के समीला बीच पर 6 जनवरी को मौजूद था. उस समय वो खराब मौसम के चलते अपना मछली पकड़ने का काम पूरा कर वापस घर जाने के लिए तैयारी कर रहा था कि तभी उसकी नजर रेत में सफेद रंग की एक चीज पर पड़ी. ये दिखने में एक पत्थर की तरह लग रही थी. महापन को लगा कि ये कोई साधारण सा पत्थर होगा लेकिन जब उसने इसे ध्यान से देखा तो ये काफी अजीबोगरीब किस्म का लग रहा था. महापन इसे लेकर काफी उत्सुक हो उठा और इसे घर ले आया.
महापन ने इसके बाद अपने गांव के कुछ वरिष्ठ लोगों से इस बारे में पूछा जिन्होंने बताया कि ये एंबरग्रीस है. एंबरग्रीस स्पर्म व्हेल की आंतों में पित्त नली के स्राव से बनता है. कई बार ये समुद्र के किनारे तैरता हुआ मिलता है और कई बार ये मृत स्पर्म व्हेल के पेट में भी पाया जाता है. ये बेहद दुर्लभ होता है क्योंकि सिर्फ 1 प्रतिशत स्पर्म व्हेल की इसे बना पाती है. इसके चलते ही एंबरग्रीस की कीमत भी काफी अधिक होती है.
ये स्पर्म व्हेल की आंतों से निकलने वाला स्लेटी या काले रंग का एक ठोस, मोम जैसा ज्वलनशील पदार्थ है. यह व्हेल के शरीर के अंदर उसकी रक्षा के लिए पैदा होता है ताकि उसकी आंत को स्क्विड की तेज चोंच से बचाया जा सके. एम्बरग्रीस को कई वैज्ञानिक व्हेल की उल्टी बताते हैं तो कई इसे मल बताते हैं. कई बार यह पदार्थ रेक्टम के जरिए बाहर आता है, लेकिन कभी-कभी पदार्थ बड़ा होने पर स्पर्म व्हेल इसे मुंह से उगल देती है.
इसकी महक यूं तो काफी गंदी होती है लेकिन एक बार सूखने के बाद इसमें से काफी स्वीट और फंकी किस्म की महक आती है और एंब्रीन मोलेक्यूल के चलते ये काफी लंबे समय तक चलती है. यही कारण है कि एंबरग्रीस का इस्तेमाल महंगे परफ्यूम के लिए होता है. महापन के हिस्से 7 किलो का एंबरग्रीस लगा है. इंटरनेशनल बाजार में इसकी कीमत लगभग 2 करोड़ के आसपास बताई जा रही है. उसे इसे बेचने की कोई जल्दी नहीं है और वो एक इंटरनेशनल एजेंट के द्वारा इसे बेचना चाहता है.