मजदूर से नही देखी गयी बच्चों की यह पीड़ा तो… खुद को लगा ली फांसी

लॉकडाउन में काम न मिलने से पाई-पाई को मोहताज काकादेव थाना क्षेत्र के राजापुरवा निवासी मजदूर से जब बच्चों की भूख नहीं देखी गई तो उसने फांसी लगाकर जान दे दी। भूखे परिवार का पेट भरने का मजदूर ने प्रयास तो भरसक किया, दर-दर भटका पर कहीं काम नहीं मिला।

इस वजह से बच्चों को 15 दिन से भरपेट भोजन भी नहीं मिल पाया। बच्चे कभी सूखी रोटी खाकर सो जाते तो कभी पानी पीकर। बच्चों की यह पीड़ा उससे देखी नहीं गई और हमेशा के लिए अपनी आंखें बंद कर लीं। राजापुरवा निवासी विजय बहादुर (40) दिहाड़ी मजदूर था। मजदूरी करके ही पत्नी रंभा, बेटों शिवम, शुभम, रवि और बेटी अनुष्का का पेट भरता था।

डेढ़ महीने से जारी लॉकडाउन की वजह से उसे कहीं काम नहीं मिला। इसके चलते जो पैसा जोड़ा भी था, वह भी खत्म हो गया। परिजनों और आसपास के लोगों ने बताया कि परिवार को कई दिन से भरपेट भोजन नहीं मिला था। इसी से परेशान होकर बुधवार शाम को विजय ने साड़ी के फंदे से फांसी लगा ली। इसी बीच पत्नी घर पहुंच गई और पड़ोसियों की मदद से विजय को उतारकर हैलट में भर्ती कराया। हालांकि देर रात उसकी मौत हो गई।

जेवर बेचने की भी कोशिश की लेकिन दुकानें बंद
लॉकडाउन में काम न मिलने से पाई-पाई को मोहताज काकादेव थाना क्षेत्र के राजापुरवा निवासी मजदूर विजय बहादुर (40) ने फांसी लगाकर जान दे दी। पड़ोसियों ने बताया कि पत्नी ने भी लोगों के घरों में काम करने की कोशिश की लेकिन कोरोना की दहशत के कारण बहुत कम काम मिलता।

कहीं से कुछ व्यवस्था कर थोड़ा बहुत लाती भी तो छह लोगों के परिवार में कम पड़ा जाता। इसके चलते विजय ने रंभा के पास जो थोड़ा बहुत जेवर है, उसे बेचने का भी प्रयास किया। हालांकि दुकानें बंद होने की वजह से यह भी संभव न हो पाया। आर्थिक तंगी के चलते पति-पत्नी में नोकझोंक होने लगी। भूख की वजह से मासूम बेटी की तबीयत भी खराब होने लगी। घटना के समय रंभा बच्चों के साथ रोटी की तलाश में ही घर से निकली थी।

 

English News

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com