मणिपुर में फैली अशांति को लेकर केंद्र सरकार पर कई सारे सवाल खड़े हो रहे है। इसी बीच गुरुवार को मणिपुर के एक नागरिक समाज संगठन ने केंद्र सरकार द्वारा शांति बहाल करने के लिए तैयार किए गए रोडमैप की बात पर जोर दिया। संगठन ने दावा किया कि गृह मंत्रालय के सलाहकार एके मिश्रा ने उन्हें बताया है कि केंद्र सरकार ने मणिपुर में जातीय संघर्ष को समाप्त करने और शांति बहाल करने के लिए एक रोडमैप तैयार किया है।
अधिकारियों से मिले एफओसीएस के प्रतिनिधिमंडल
फेडरेशन ऑफ सिविल सोसाइटी (एफओसीएस) के प्रवक्ता नंगबाम चमचन सिंह ने बताया कि बुधवार को उनके संगठन के प्रतिनिधिमंडल ने गृह मंत्रालय के सलाहकार और अन्य अधिकारियों से मुलाकात की थी। इसमें मिश्रा ने कहा कि मणिपुर में शांति के लिए तैयार किए गए रोडमैप का पहला चरण पहले ही लागू किया जा चुका है।
गृह मंत्रालय के सलाहकार का बयान
मामले में एके मिश्रा के द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार इस रोडमैप कई चरणों में लागू किया जाएगा। इसमें पहले चरण में हथियारों का समर्पण के बाद अब सड़कों को फिर से खोलना और सशस्त्र समूहों की गतिविधियों पर अंकुश लगाना शामिल है। उन्होंने बताया कि 20 फरवरी को राज्यपाल ने सभी हथियारों के समर्पण का आह्वान किया था। साथ ही सड़कों पर बिना किसी रोक-टोक के आवाजाही सुनिश्चित करने की बात की गई थी।
केंद्र और कुकी सशस्त्र समूहों के बीच समझौता समाप्त
साथ ही एफओसीएस के प्रवक्ता ने कहा कि मिश्रा ने यह भी बताया कि केंद्र और कुकी सशस्त्र समूहों के बीच हुआ समझौता समाप्त हो चुका है, लेकिन इसे निरस्त नहीं किया गया है। इस समझौते को भविष्य में फिर से संशोधित किया जा सकता है। एफओसीएस ने सरकार से राज्य में सभी लोगों की स्वतंत्र आवाजाही को सुनिश्चित करने, आंतरिक रूप से विस्थापित लोगों को उनके घरों में सुरक्षित वापसी की अनुमति देने, सशस्त्र समूहों द्वारा ग्रामीणों पर हमलों को रोकने और मणिपुर की जनसांख्यिकी का अध्ययन करने की अपील की है।
मणिपुर हिंसा की शुरुआत
गौरतलब है कि मणिपुर में मई 2023 से अब तक मैतेई और कुकी-ज़ो समुदायों के बीच जातीय हिंसा में 250 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। साथ ही हजारों लोग अपने घरों से बेघर हो गए हैं। बढ़ते हिंसा पर लगातार उठ रहे सवाल के बीच बीते दिनों मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने इस्तीफा दे दिया। इसके बाद 13 फरवरी को केंद्र ने मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू किया था और राज्य विधानसभा को निलंबित कर दिया था।