नई दिल्ली: यूपी चुनाव के बाद जहां जानकारों को 2019 के लिए बीजेपी की राह आसान दिखाई दे रही है, वहीं कांग्रेस और अन्य विरोधी पार्टियों के लिए चिंतन करने का वक्त आ गया है. या यूं कहें कि उनके लिए आत्ममंथन का वक्त हाथ से निकलता जा रहा है. ऐसे में कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता मणिशंकर अय्यर का यह कहना कि इस वक्त कांग्रेस अकेले मोदी को नहीं हरा सकती और राहुल गांधी को वही करना चाहिए जो कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने 2004 में किया था.
मणिशंकर अय्यर ने कहा कि जिस तरह सोनिया गांधी ने 2004 में यूपीए के तहत विविध मुद्दों से जुड़ी पार्टियों को एकजुट करने का काम किया था, वैसा ही कुछ इस वक्त राहुल गांधी को तुंरत करना चाहिए.2019 के लिए अय्यर द्वारा महागठबंधन के लिए विभिन्न पार्टियों को एक करने के विचार पर अब केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने तंज कसते हुए कहा है कि ‘सौ लंगड़े मिलकर एक पहलवान नहीं बन सकते.’ गौरतलब है कि अय्यर ने अपने ब्लॉग में यह भी माना था कि कांग्रेस को ज़मीनी स्तर पर काम करने की जरूरत है और इसके लिए उन्होंने जवाहरलाल नेहरू के दिए गए उस भाषण को याद किया जो उन्होंने 1936 में लखनऊ कांग्रेस में दिया था.
उन्होंने कहा था ‘हम आम जनता से संपर्क खो चुके हैं और उनसे मिलने वाली ऊर्जा से अछूते रह गए हैं, हम सूख रहे हैं और कमज़ोर पड़ रहे हैं और इस तरह हमारी संस्था अपनी ताकत खोते हुए सिमटती जा रही हैं.’गौरतलब है कि अय्यर ने अपने ब्लॉग में यह भी माना था कि कांग्रेस को ज़मीनी स्तर पर काम करने की जरूरत है और इसके लिए उन्होंने जवाहरलाल नेहरू के दिए गए उस भाषण को याद किया जो उन्होंने 1936 में लखनऊ कांग्रेस में दिया था. उन्होंने कहा था ‘हम आम जनता से संपर्क खो चुके हैं और उनसे मिलने वाली ऊर्जा से अछूते रह गए हैं, हम सूख रहे हैं और कमज़ोर पड़ रहे हैं और इस तरह हमारी संस्था अपनी ताकत खोते हुए सिमटती जा रही हैं.’ अय्यर ने कहा कि सबको मिलकर चलने वाले रास्ते को दोबारा पकड़ने के लिए चुनावों में लड़ना और उसे जीते जाना बहुत जरूरी है. इसके लिए नेहरू का 1936 का विश्लेषण और सोनिया गांधी के 2004 में अपनाए गए यथार्थवाद रवैये को जोड़ना होगा. मौजूदा हालात में कांग्रेस को पार्टी में समावेश न करके गठबंधन में विभिन्न पार्टियों के समावेश पर विचार करना होगा.