अमेरिका के शिकागो शहर में स्वामी विवेकानंद के ऐतिहासिक भाषण की 125वीं वार्षिकी पर मैं उस जगह जाना चाहती थीं लेकिन ‘कुछ लोगों’ की साजिश के कारण यह संभव नहीं हो पाया। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस अवसर पर बेलूरमठ में आयोजित हुए कार्यक्रम में यह सनसनीखेज खुलासा किया।
उन्होंने आगे कहा-‘इस बाबत मुझे रामकृष्ण मिशन की ओर से न्योता भी मिला था लेकिन साजिश करके रोक दिया गया। मैं इसके लिए रामकृष्ण मिशन को दोष देना नहीं चाहूंगी क्योंकि उसे भी धमकियां मिली थी।’ मुख्यमंत्री ने इस मौके पर परोक्ष तौर पर केंद्र की मोदी सरकार पर भी निशाना साधा।
उन्होंने कहा-‘देश पर शासन करने का यह मतलब नहीं है कि सिर पर पैर रखेंगे। ऐसा नहीं होने दिया जाएगा। जब कुछ लोग यह कहते हैं कि ये करना है, वो खाना है तो मुझे बहुत शर्म आती है।
ममता ने आगे कहा-‘कुछ लोग हिंदू धर्म की अपने तरीके से व्याख्या करते हैं। अगर हमें हिंदू धर्म के बारे में जानना है तो हम रामकृष्ण परमहंस और स्वामी विवेकानंद के विचारों से सीखेंगे, दूसरों से नहीं। हिंदू धर्म में सहिष्णुता सबसे महत्वपूर्ण बात है। हिंदू धर्म लोगों को बांटता नहीं, भेदभाव करना नहीं सिखाता।
हिंदू धर्म सभी धर्मों की जननी है। मैं धर्मांधता और सांप्रदायिकता में नहीं बल्कि सद्भाव में विश्वास करती हूं। मैं उस धर्म का समर्थन करती हूं, जो मानवता की बात करती है। हम सब मनुष्य हैं और हमारी सबसे बड़ी पहचान यही है।’
मुख्यमंत्री ने कहा कि स्वामी विवेकानंद भारतवर्ष को पैरों पर खड़ा करके गए थे। उन्होंने अपने ऐतिहासिक भाषण में कहा था कि हम वैश्विक सहिष्णुता में सिर्फ विश्वास ही नहीं करते बल्कि सभी धर्मों को सच्चे से लेते हैं।
भारत के पर्यटन मानचित्र में रामकृष्ण-विवेकानंद के दक्षिणेश्वर व बेलूरमठ को नहीं पाकर मैं हैरान रह गई थीं।’ गौरतलब है कि स्वामी विवेकानंद ने शिकागो में 11 सितंबर, 1893 को आयोजित हुए विश्व धर्म सम्मेलन में भाषण दिया था।