नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार पर जन विरोधी नीतियों को आगे बढ़ाने और राज्य के साथ भेदभाव करने का आरोप लगाया।
उन्होंने कहा कि वह केन्द्र के साथ सहयोग करने के लिए तैयार हैं लेकिन ‘खतरों से भयभीत’ नहीं होंगी। उन्होंने यहां पर एक जनसभा में कहा, ‘‘मैं केन्द्र के साथ सहयोग करने के लिए तैयार हूं लेकिन कभी भी जन-विरोधी नीतियों का समर्थन नहीं करूंगी… हम खतरों से नहीं डरते। हम स्वस्थ राजनीति में यकीन रखते हैं।’ राज्य सरकार द्वारा कृषि भूमि के लिए कोई राजस्व नहीं लेने की घोषणा करते हुये उन्होंने कहा, ‘देश में कई किसानों ने खुदकुशी कर ली है और केन्द्र को उनका रिण माफ करना चाहिए।’’
छोटी बचत योजनाओं पर ब्याज दरों में कटौती के केन्द्र सरकार के निर्णय पर सवाल उठाते हुये उन्होंने कहा कि इससे चिट फंड मामलों के बढ़ने में मदद मिलेगी।
पश्चिम बंगाल के साथ भेदभाव करने और भाजपा का समर्थन करने वाले को राशि देने का आरोप लगाते हुये उन्होंने कहा ‘‘आंध्र प्रदेश को एक विशेष पैकेज मिलता है। मुझे कोई दिक्कत नहीं है लेकिन बंगाल को वंचित क्यों रखा जाता है? ममता ने कहा कि पश्चिम बंगाल में 88 त्वरित अदालतें, 45 महिला थाना है जबकि गुजरात में एक भी त्वरित अदालत नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि फिर भी केंद्र ने गुजरात को 400 करोड़ रूपये आवंटित किए हैं लेकिन बंगाल को कुछ नहीं मिला।
आपको बता दें कि इससे पहले ममता बनर्जी ने उनके राज्य में सांप्रदायिकता को बढ़ावा देने वालों को साफ आगाह किया था। उन्होंने रोजा इफ्तारी की दावत में शामिल होने पर सवाल खड़े करने वालों को साफ बता दिया था कि वो इसी दावतों में शामिल होती रहेंगी चाहे ऐसा करना उनके धर्म के खिलाफ ही क्यों ना है। मंगलवार दोपहर एक रैली को संबोधित करते हुए ममता ने कहा था, पश्चिम बंगाल सबके लिए है। हिंदू, मुस्लिम, ईसाई, जनजाति, हिंदी भाषी, उर्दू भाषी सब यहां रहते हैं। किसी भी तरह के सांप्रदायिक उकसावे के शिकार नहीं हों। बंगाल एक ऐसा राज्य है जहां विभिन्न धर्मों के लोग भाईचारे के साथ रहते हैं।”