‘मंजिलें उन्हीं को मिलती हैं, जिनके सपनों में जान होती है।
पंखों से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है।
उम्र महज एक नंबर से ज्यादा और कुछ नहीं है। सही मायनों में सफलता की कहानी उम्र से नहीं बल्कि आपके हौसले और मजबूत इरादों से लिखी जाती है। जिस उम्र में बच्चे खेलते कूदते है उस उम्र में एक बच्चा ऐसा भी है जो प्रोफेसर बन छात्रों को पढ़ा रहा है। 14 साल के बच्चे ने यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर बनकर यह बात साबित कर दी है कि किसी भी काम को करने के लिए उम्र कोई मायने नहीं रखती।
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