देश में भाजपा की लगातार जीत और मोदी लहर रोकने के मकसद से वजूद में आया महागठबंधन लड़खड़ाया है। जेडी (यू) सुप्रीमो नीतीश कुमार के महागठबंधन से अलग होने और फिर से एनडीए के साथ जुड़ने से देश की राजनीति में तूफान सा आ गया है। नीतीश की ओर से इस बड़े कदम को उठाने के पीछे कई वजह बताई जा रही है, लेकिन अहम कारण कुछ और है।
जेडी (यू) सूत्रों के मुताबिक आरजेडी के कुछ मंत्री नीतीश सरकार के लिए तो काम कर रहे थे, लेकिन वो पार्टी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के निर्देशों पर ही चलते थे। ऐसा माना जा रहा है कि नीतीश को ये तरीका रास नहीं आया और इन्हीं कारणों की वजह से जेडी (यू) और बीजेपी के बीच नजदीकियां बढ़ी हैं।
टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक जेडी (यू) के सूत्रों का ये भी आरोप है कि लालू के कुछ लोगों ने नीतीश सरकार को गिराने के लिए दो केंद्रीय मंत्रियों से संपर्क भी साधा। साथ ही उन्होंने अपने पार्टी चीफ लालू कानूनी पचड़ों से बचाने के लिए हर कोशिश की।
दरअसल, जुलाई के पहले हफ्ते में सीबीआई ने लालू उनकी पत्नी राबड़ी, छोटे बेटे और राज्य के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव सहित आठ लोगों व इकाइयों के खिलाफ भ्रष्टाचार का केस दर्ज किया। जिसके बाद से ही महागठबंधन में दरार दिखने लगी थी। इस बीच नीतीश ही नहीं जेडी (यू) के कई बड़े मंत्रियों ने इशारे में तेजस्वी से भ्रष्टाचार पर अपनी सफाई पेश करने की कही, लेकिन ऐसा हुआ नहीं।
घोटालों के खुलासों के बाद रिश्तों में आई खटास
आरोप है कि रेल मंत्री रहते लालू ने एक कंपनी को नियमों का उल्लंघन कर फायदा पहुंचाया जिसके बदले में उन्हें कंपनी ने पटना में करोड़ों की जमीन दी। इसके बाद रिश्तों में खटास और बढ़ गई। नीतीश ने भ्रष्टाचार के खिलाफ ‘जीरो टॉलरेंस’ की घोषणा करते हुए तेजस्वी को इशारों में इस्तीफा देने का संकेत दिया लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया।
इसके बाद दोनों ओर से राजनीतिक बयानबाजी होती रही। इसकी परिणति मुख्यमंत्री के इस्तीफे के रूप में हुई। जेडी (यू) के सूत्रों ने आरोप लगाया है कि लालू के दूत ने दो केंद्रीय मंत्रियों से संपर्क किया था, जिन्होंने नीतीश के पैर के नीचे से गले लगाने की पेशकश की थी।