महाराष्ट्र: भीषण गर्मी के बीच अमरावती में जल संकट गहराया

महाराष्ट्र में पानी का संकट गहराता जा रहा है। आलम यह है कि कहीं कुएं सूखने के कारण लोग जंगलों में जाकर गंदा पानी ला रहे हैं तो कहीं टैंकरों से पानी की सप्लाई होने पर लोग आपस में एक-एक मटका पानी के लिए भिड़ते हुए आ रहे हैं।

महाराष्ट्र से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। अमरावती जिले में मरियमपुर गांव और इसके आसपास के क्षेत्रों के ग्रामीणों को इस चिलचिलाती गर्मी में पीने के पानी के लाले पड़ रहे हैं। यहां के लोग अपनी जान जोखिम में डाल रहे हैं। लोग कच्चे रास्तों और ऊंचे पहाड़ों से होकर पानी लेने जा रहे हैं। इन क्षेत्रों में पानी का स्रोत सिर्फ प्रदूषित तालाब है, जो यहां के ग्रामीणों की जरूरत पूरा कर रहा है। इसके अलावा, प्रदूषित तालाब के किनारे गड्ढे खोदकर लोग पानी का इस्तेमाल कर रहे हैं।

दूषित पानी लोगों को बीमार कर रहा

जैसे-तैसे ये ग्रामीण पानी भरकर ले आ रहे हैं, लेकिन इसका इस्तेमाल करना इससे भी ज्यादा खतरनाक है। दूषित और अस्वस्थ पानी लोगों को बीमार भी कर रहा है। इस गंदे पानी के लिए ग्रामीण मीलों पैदल चल रहे हैं। मरियमपुर गांव की रहने वाली फुलकाई बेलसरे का कहना है कि गड्ढे में पानी खत्म होने पर तालाब से गंदा पानी लेना पड़ता है।

लोगों ने बताई अपनी परेशानी

फुलकाई बेलसरे ने कहा, ‘हम पानी लेने के लिए रात 10-11 बजे तक यहां बैठे रहते हैं। गड्ढे में पानी खत्म हो जाता है तो तालाब से गंदा पानी लेना पड़ता है। हमें न तो पानी के टैंकर मिल रहे हैं और न ही नलों में पानी मिल रहा है।’

मरियमपुर गांव के रहने वाले सुभाष सावलकर ने कहा, ‘हमें सुबह चार बजे उठना पड़ता है और तालाब के पास आना पड़ता है। पानी इकट्ठा करने के लिए गड्ढा खोदना पड़ता है। इस पानी को पीने के बाद हमारे बच्चे बीमार हो रहे हैं, यहां पानी का कोई अन्य स्रोत नहीं है, यहां पानी का कोई टैंकर नहीं आता है।’

जास्मिन प्रकाश ने कहा, ‘कोई यहां की स्थिति का जायजा नहीं ले रहा। इस पानी को पीने के बाद लोग बीमार हो रहे हैं। हमारी परेशानी को न तो जल प्रदाय विभाग देख पा रहा है और न ही नगर परिषद। हर गांव में पानी की टंकी और बोरवेल है, लेकिन हमारे गांव में पानी की कमी के कारण बोरवेल नहीं खोदा जा सकता।’

महाराष्ट्र के बांधों में जल भंडारण 22.06 फीसदी

अधिकारियों ने बताया कि महाराष्ट्र के करीब 3,000 बांधों में औसत जल भंडार घटकर 22.06 प्रतिशत रह गया है। इससे छत्रपति संभाजीनगर में सबसे कम 8.78 प्रतिशत पानी का भंडार रह गया।

एक आधिकारिक रिपोर्ट के अनुसार, पिछले दो दिनों में भंडारण में 0.58 प्रतिशत की गिरावट आई है। राज्य में 2,997 बड़े, मध्यम और छोटे बांध हैं, और सबसे अधिक 920 जलाशय छत्रपति संभाजीनगर डिवीजन में थे।

रिपोर्ट में कहा गया है कि 22.06 प्रतिशत का मौजूदा भंडार पिछले साल 31 मई को दर्ज भंडार से 8.8 प्रतिशत कम है। पुणे डिवीजन में दूसरा सबसे कम भंडार 15.67 प्रतिशत है, इसके बाद नासिक (24.06 प्रतिशत), कोंकण (34.22 प्रतिशत), नागपुर (38.17 प्रतिशत) और अमरावती में 38.56 प्रतिशत है। 29 मई तक, 25 जिलों में 3,072 गांवों और 7,931 बस्तियों को टैंकरों के माध्यम से पानी की आपूर्ति की जा रही थी।

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