महिलाओं के खिलाफ बड़ी तादाद में होने वाले अपराध को देखते हुए देश में कई सामाजिक संस्थाएं, एनजीओ व कार्यकर्ता हैं, लेकिन यह भी देखा जाता है कि कानून का फायदा उठाकर कुछ महिलाएं पुरुषों को प्रताड़ित करती है।
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ऐसे में एक महिला ऐसी भी है, जो पुरुषों के अधिकारों के लिए लंबे समय से आवाज उठा रही है। 31 साल की दीपिका नारायण का कहना है कि औरतों के लिए लड़ने वाले तो बहुत हैं लेकिन कई पुरुष भी समाज में महिलाओं द्वारा शोषित हो रहे हैं, जिनके लिए कोई आवाज नहीं उठा रहा है।
दीपिका नारायण दहेज प्रताड़ना कानून के तहत फंसाए गए पुरुषों को भी कानूनी मदद देती है। उनका कहना है कि धारा 498A (दहेज कानून) का कुछ महिलाओं द्वारा बेहद दुरुपयोग किया जाता है। इस काम के साथ-साथ दीपिका डाक्युमेंट्री फिल्म भी बनाती है। पत्रकार रह चुकी दीपिका ने 2012 में इस मुद्दे पर रिसर्च शुरू की थी।
ऐसे हुई काम की शुरुआत
2011 में उनके एक रिश्तेदार की शादी टूटी थी और उसकी बीवी ने उसके पूरे परिवार के ख़िलाफ़ दहेज का मामला दर्ज करा दिया था। उनके ख़िलाफ़ भी शिकायत की गई थी। तब उनके परिवार ने बड़ी रक़म देकर इस मामले को ख़त्म किया, पर तभी से उनके मन में ये बात घर कर गई थी कि इस कानून के दुरुपयोग को रोकना है।
कई दहेज प्रताड़ना के मामले झूठे
दीपिका ने अपनी रिसर्च के दौरान पाया कि ज्यादातर दहेज प्रताड़ना के मामले झूठे हैं। झूठे आरोप में फंसाए जाने के कारण कुछ मामले में लड़के के मां बाप ने बदनामी के डर से आत्महत्या तक कर ली। उन्होंने इसी मुद्दे पर ‘Martyrs of Marriage’ नाम की डाक्युमेंट्री फ़िल्म बनाई है।
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महिला संगठनों ने किया विरोध
गौरतलब है कि 2012 में हुए निर्भया कांड के बाद दुष्कर्म रोकने के लिए भी संसद ने कठोर कानून बनाए। दीपिका ने इसका भी जमकर विरोध किया। उनका मानना है कि कई औरतों द्वारा इन कठोर कानूनों का दुरुपयोग किया जा रहा है और पुरुषों के बेवजह फंसाया जा रहा है। हालांकि कुछ महिला संगठनों द्वारा द्वारा ही उनके खिलाफ महिला विरोधी होने के आरोप भी लगाए गए हैं।