धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माता काली का रूप अत्यंत भयंकर माना गया है लेकिन भक्तों के लिए यह रूप अत्यंत शुभ फलदायी है। कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि के दिन काली चौदस मनाई जाती है। साथ ही इस दिन छोटी दिवाली और नरक चतुर्दशी भी मनाई जाती है। ऐसे में आइए जानते हैं छोटी दिवाली पर मां काली की पूजा विधि।
मां काली, मां पार्वती का ही रौद्र रूप हैं। मां काली ने कई राक्षसों का वध कर अपने भक्तों को उनके प्रकोप ले मुक्ति दिलाई थी। मां काली की पूजा करने से साधक को सभी प्रकार का भय और कष्टों से मुक्ति मिलती है।
मां काली को कालिका, कालरात्रि आदि कई नामों से जाना जाता है। दिवाली उत्सव की अमावस्या तिथि ज्यादातर साधक मां लक्ष्मी का पूजन करते हैं, लेकिन दिवाली से एक दिन पहले, यानी छोटी दिवाली पर काली मां की पूजा की जाती है। ऐसे में इस साल काली पूजा 11 नवंबर को की जाएगी।
मां कालरात्रि की पूजा विधि
काली चौदस की पूजा करने से पहले अभ्यंग स्नान यानी नरक चतुर्दशी पर सूर्योदय के पहले शरीर पर उबटन लगाकर स्नान करना आवश्यक माना जाता है। स्नान के बाद शरीर पर परफ्यूम लगाएं और एक चौकी पर कपड़ा बिछाकर मां काली की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। इसके बाद विधि-विधान से मां काली की पूजा करते हुए मां के समक्ष दीप जलाएं। इसके बाद मां कालिका को कुमकुम, हल्दी, कपूर और नारियल अर्पित करें।
मां कालरात्रि पूजा मंत्र
मां काली के मंत्रों का जाप करने के लिए लाल चंदन की माला को सबसे उत्तम माना गया है। ऐसे में मां कालरात्रि की पूजा के दौरान लाल चंदन की माला से इस मंत्र का जाप जरूर करें।
ॐ जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोस्तु ते।।
ऐसा करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। साथ ही साधक को जीवन में आ रही समस्याओं से भी छुटकारा मिलता है।