देश के अगले राष्ट्रपति का चुनाव हो चुका है. यूपी में बीजेपी की सरकार बने भी चार महीने से अधिक का समय हो चुका है. नियम के मुताबिक अब अगले दो महीने के अंदर योगी आदित्यनाथ और केशव प्रसाद मौर्या को सांसद पद से इस्तीफा देकर विधानसभा की सदस्यता लेनी होगी. इस बात की चर्चा उसी वक्त से चल रही है जब बीजेपी ने विधानसभा चुनावों में जीत के बाद योगी को मुख्यमंत्री और केशव प्रसाद मौर्या को उप मुख्यमंत्री बनाया गया था. हालांकि बाद में स्पष्ट हुआ कि ये लोग राष्ट्रपति चुनाव के बाद इस्तीफा देंगे. अब राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि बीजेपी केशव प्रसाद मौर्या को यूपी में नहीं बल्कि केन्द्र में कोई बड़ी जिम्मेदारी दे सकता है.आजम ने दिया बड़ा बयान, यूपी का टेंडर योगी-मोदी के पास, बताएं सदन में कैसे पहुंचा पाउडर…
बीजेपी के इस अप्रत्याशित फैसले के पीछे भी एक राजनीतिक चर्चा मात्र है कि राज्यसभा से इस्तीफा देने के बाद मायावती केशव प्रसाद मौर्या द्वारा छोड़ी जाने वाली फूलपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ सकती हैं. आपको बता दें कि बीएसपी ने अभी तक इस बात की पुष्टि नहीं की है हालांकि उसने हालिया चुनावों में मिली करारी हार के बाद बीएसपी को जमीनी स्तर पर मजबूत करने के लिए मायावती की रणनीति का खुलासा जरूर किया है. जिसमें बताया गया है कि राज्यसभा से इस्तीफा देने वाली 18 तारीख को हर महीने दो मंडलों में एक रैली करेंगी. पार्टी में नई जान फूंकने के लिए मायावती ने 18 सितंबर 2017 से 18 जून 2018 तक यूपी दौरे का कार्यक्रम बनाया है.
बीजेपी का अग्रिम बचाव!
सोशल मीडिया पर वायरल मायावती का ‘फूलपुर प्लान’ अगर सच है तो केशव मौर्या को केन्द्र में ले जाना बीजेपी के अग्रिम बचाव के तौर पर माना जाना चाहिए. बीजेपी फूलपुर जैसी हाई प्रोफाइल सीट कभी भी गंवाना नहीं चाहेगी और वह केवल इसी तरह ही उपचुनाव को टाल सकती है. वह 2019 के चुनावों के आसपास ऐसी किसी हार के लिए तैयार नहीं होगी. यूपी बीजेपी के नेता फिलहाल इस मसले पर कुछ भी बोलने से बचने की कोशिश कर रहे हैं. उनके मुताबिक पार्टी का जो भी फैसला होगा बता दिया जाएगा.
अभी अभी: जवाहर भवन की चौथी मंजिल पर लगी भीषण आग…
केशव प्रसाद को नुकसान या फायदा
अगर बीजेपी केशव प्रसाद को सांसद बने रहने का फैसला लेती है तो केशव प्रसाद मौर्या को उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य का उप मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ेगा. लेकिन उम्मीद है कि बीजेपी इस एवज में उन्हें मोदी कैबिनेट में कोई अहम जिम्मेदारी भी दे सकता है.
प्लान लीक का मायावती को हुआ नुकसान
अगर ऐसा होता है तो जाहिर तौर पर मायावती को ही नुकसान होगा. फूलपुर सीट खाली हो सकती थी, उस पर मायावती चुनाव लड़ सकती थीं, संभवत: जीत भी सकती थीं. लेकिन, उनका कथित ‘फूलपुर प्लान’ लीक हो जाने से माना जा रहा है कि अब यह सीट शायद ही खाली हो. और योगी आदित्यनाथ की गोरखपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ना मायावती के लिए उतना आसान भी नहीं होगा.