‘इंसान से इंसान का हो भाईचारा’ इस इबारत को चरितार्थ कर रहा है बांदा शहर का वाशिंदा तुफैल अहमद। वह हर साल चार ‘रावण’ के पुतले बनाता है और आग लगाकर मारता भी है।
नेकी का यह काम उसे विरासत में उसके अब्बू एजाज से मिला है।
बांदा शहर के मर्दन नाका निवासी मरहूम एजाज अहमद पांच दशकों तक ‘रावण’ का पुतला बनाने और उसे आग लगाने का काम करते रहे। उनके इंतकाल के बाद यह काम बेटा तुफैल अहमद कई साल से कर रहा है। वह शहर में चार स्थानों के लिए ‘रावण’ का पुतला बनाता है और खुद आग लगाकर उसका ‘वध’ भी करता है।
इस बार वह कुछ ज्यादा व्यस्त है, क्योंकि मोहर्रम और दशहरा एक ही दिन है। इसलिए वह दिन में रावण का पुतला और रात में ताजिया बनाने का काम कर रहा है।
तुफैल अहमद ने बताया, “पांच दशक तक मेरे अब्बू रावण बनाने और जलाने का काम करते रहे। उनके इंतकाल के बाद मुझे यह काम विरासत में मिला। रावण ने बौद्धिक होने के बाद भी दुष्टतापूर्ण काम किया था, इसलिए उसका पुतला दहन कर मुझे संतुष्टि मिलती है।”
जिले के अधिवक्ता संघ के पूर्व अध्यक्ष रणवीर सिंह चौहान का कहना है, “तुफैल सिर्फ रावण का पुतला बनाने या उसे मारने का काम नहीं करता, बल्कि वह सामाजिक सौहार्द भी कायम करता है। इसकी हर किसी को तारीफ करनी चाहिए।”