मुंबई के ये कुत्ते हुए नीले, जानिए क्या है इसके पीछे की वजह...

मुंबई के ये कुत्ते हुए नीले, जानिए क्या है इसके पीछे की वजह…

नवी मुंबई में आजकल कुत्तों को एक अजीब बीमारी हो रही है. सफेद कुत्तों का शरीर नीला पड़ रहा है. कई कुत्ते इसके शिकार हो चुके हैं. उनके शरीर के बाल, फर का रंग बदल रहा है. खासकर तलोजा औद्योगिक क्षेत्र के पास रहने वाले कुत्तों के साथ ये ज्यादा हो रहा है.मुंबई के ये कुत्ते हुए नीले, जानिए क्या है इसके पीछे की वजह...मराठा क्रांति मोर्चा: आरक्षण की मांग को लेकर किया प्रदर्शन, हाईवे पर लगा जाम…

क्यों नीला पड़ रहा है कुत्तों का शरीर

ऐसा कसाड़ी नदी में औद्योगिक अपशिष्ट पदर्थों का प्रवाह  होने के कारण हो रहा है. कुत्ते जब कुछ खाने की खोज में नदी में जाते हैं, तो वहां गंदगी के कारण उनके शरीर का रंग नीला हो जाता है.

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में की शिकायत दर्ज

नवी मुंबई पशु संरक्षण सेल ने बुधवार को एक कुत्ते की तस्वीरें लीं, जिसका फर नीले रंग का हो गया था. सेल ने गुरुवार को महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एमपीसीबी) में इसकी शिकायत दर्ज कराई. यहां पशुओं के पीड़ित होने के बारे में जानकारी दी गई. क्योंकि औद्योगिक इकाइयों द्वारा नदियों में सीधे अपशिष्ट पदार्थ का प्रवाह किया जा रहा है. बता दें कि क्षेत्र में करीब 1000 दवा, खाद्य और इंजीनियरिंग कारखानों हैं.

नवी मुंबई में एनिमल प्रोटेक्शन सेल चलाने वाली आरती चौहान ने कहा- “यह चौंकाने वाला था कि कैसे कुत्ते का सफेद फर पूरी तरह से नीला हो गया था. हमने 5 ऐसे कुत्तों को देखा है जिनका रंग नीला पड़ गया था. साथ ही ऐसे उद्योगों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से कहा है.”

मानवों के लिए भी है खतरनाक

एक्सपर्ट्स का कहना है कि प्रदूषित जल से इंसानों की सेहत पर भी असर पड़ सकता है. अगस्त 2016 में मछुआरे इस चिंता में थे कि प्रदूषित नदी का पानी मछलियों को प्रभावित कर रहा था. 

जैव रसायन ऑक्सीजन डिमांड (बीओडी) के स्तर- जलीय जीवन को बनाए रखने के लिए आवश्यक ऑक्सीजन की मात्रा- 80 मिलीग्राम प्रति लीटर (मिलीग्राम / एल) थी. वहीं क्लोराइड का स्तर, जो जहरीले वनस्पतियां, जलीय जीवन और वन्य जीवन को नुकसान पहुंचाता हैं,वो अधिक मात्रा में था.

प्रदूषण बोर्ड का क्या कहना है?

केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के दिशानिर्देशों के अनुसार, जब बीओडी का स्तर 6 मिलीग्राम/एल से ऊपर होता है तो मछली मर जाती है. वहीं 3 मिलीग्राम /एल से ऊपर का स्तर मानव उपभोग के लिए पानी को अयोग्य बना देता है. बता दें कि औद्योगिक अपशिष्ट पदार्थ  के कारण कसडी नदी में प्रदूषण स्तर 13 गुना तक बढ़ा था.

नदी का प्रदूषण स्तर बेहद ऊंचा

लोकल फिशिंग कम्यूनिटी के सदस्य योगेश पगड़े ने कहा कि कई शिकायतों के चलते पिछले कुछ वर्षों में एमपीसीबी के कारण, कसाड़ी में बदबू थोड़ी कम हो गई है. हालांकि, प्रदूषण का स्तर बेहद ऊंचा रहा है. ऑक्सीजन की मात्रा भी खत्म हो गई है.

नदी में अपशिष्ट पदार्थों के प्रवाह की अनुमति अवैध

एमपीसीबी के अधिकारियों ने कहा कि उन्होंने शिकायत पर संज्ञान लिया है. किसी भी जल निकाय में औद्योगिक अपशिष्ट पदर्थों के प्रवाह की अनुमति देना अवैध है. हम प्रदूकों के खिलाफ कार्रवाई करेंगे, क्योंकि वो पर्यावरण को नष्ट कर रहे हैं. मुम्बई के क्षेत्रीय अधिकारी, अनिल मोहेकर ने कहा “हमने जांच के लिए हमारे उप-क्षेत्रीय अधिकारी को निर्देश दिया है.

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