नई दिल्ली। जासूसी के आरोप में पकड़ा गया पाकिस्तान उच्चायोग का अधिकारी महमूद अख्तर 2008 के मुंबई आतंकवादी हमले जैसा एक और हमला कराने की ताक में था। इसके लिए वह पश्चिमी तट पर भारतीय सुरक्षाबलों की तैनाती के बारे में गोपनीय सूचनाएं पाने की कोशिश कर रहा था।

गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि अख्तर पश्चिम तट, सरक्रीक, कच्छ इलाकों में सुरक्षाबलों की तैनाती की जानकारी के अलावा गुजरात, महाराष्ट्र व गोवा में सैन्य प्रतिष्ठानों के बारे में सूचनाएं जुटाने की कोशिश कर रहा था।
अधिकारी ने कहा, ऐसी खुफिया सूचना है कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आइएसआइ भारत में मुंबई जैसा हमला कराने के लिए समुद्र मार्ग से आतंकियों को भेजने की साजिश रच रही है। अख्तर की गतिविधियां और पश्चिम तट के बारे में सूचनाएं जुटाने में उसकी दिलचस्पी इस खुफिया सूचना की पुष्टि करती है।
नवंबर, 2008 में जब अरब सागर के रास्ते कराची से आकर 10 आतंकवादियों ने हमला किया था तब 166 लोगों की जान चली गयी थी।
गौरतलब है कि दिल्ली में बुधवार को जब मौलाना रमजान और सुभाष जांगीर सर क्रीक व कच्छ क्षेत्र में सुरक्षाबलों की तैनाती के बारे में अख्तर को सूचनाएं दे रहे थे तभी उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था। अधिकारी ने बताया कि पाकिस्तानी अधिकारी को सूचनाए हासिल करने के लिए इन दोनों को 50 हजार रुपए का भुगतान करना था।
राजनयिक छूट की वजह से छोड़े जाने से पहले अख्तर ने पुलिस के सामने जासूसी प्रकरण में अपनी भूमिका स्वीकार की। दिल्ली पुलिस ने उसके बयान की वीडियो रिकॉर्डिंग की। उसने अपने बयान में कबूल किया कि वह सालभर से अधिक समय से जासूसी में शामिल था।
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