पांच बार की विश्व चैंपियन एमसी मेरी कॉम पुरुष और महिलाओं के 69वें स्ट्रैंड्जा मेमोरियल मुक्केबाजी टूर्नामेंट के फाइनल में हारकर रजत पदक से संतोष करना पड़ा. दूसरी तरफ अमित फंगल ने लगातार दूसरा अंतरराष्ट्रीय स्वर्ण पदक हासिल किया.अभी-अभी: गांगुली ने बताया, KKR का कप्तान बनने के लिए कौनसा खिलाड़ी है बेस्ट
अमित (49 किग्रा) ने पिछले महीने इंडिया ओपन में खिताब जीता था, उन्होंने मोरक्को के सैद मोर्दाजी को हराकर पीला तमगा अपने नाम किया. हरियाणा का यह 23 वर्षीय मुक्केबाज शुरू में लचर शुरूआत से उबरने में सफल रहा, जबकि सैद काफी लंबे थे और चपलता में इस भारतीय की बराबरी पर थे. लेकिन वह सटीकता में थोड़े विफल हो गए.
मेरी कॉम (48 किग्रा) की निगाहें एशियाई चैंपियनशिप और इंडिया ओपन में स्वर्ण पदक जीतने के बाद यहां भी पहला स्थान हासिल करने पर लगी हुई थीं. लेकिन वह बुल्गारिया की स्वेदा असेनोवा से हार गईं. सीमा पूनिया (81 किग्रा से अधिक) को भी रजत पदक से संतोष करना पड़ा जो रूस की अन्ना इवानोवा की चुनौती के आगे पस्त हो गईं.
मेरी कॉम के लिए यह परिणाम हालांकि चौंकाने वाला था, क्योंकि वह स्थानीय मुक्केबाज के खिलाफ बाउट में दबदबा बनाए हुए थीं. ओलंपिक कांस्य पदकधारी भारतीय मुक्केबाज बाउट के दौरान आक्रमण की शुरुआत कर रही थीं. बल्कि वह सचमुच स्वेदा पर आक्रमण कर रही थीं, लेकिन जब जजों ने स्वेदा के पक्ष में निर्णय सुनाया, तो भारतीय पक्ष हैरान रह गया.
वहीं, सीमा का मुकाबला ताकतवर मुक्के जड़ने वाली अन्ना से था जो अपने सीधे पंच में काफी तेज थी. रूस की मुक्केबाज का इतना दबदबा था कि अंतिम दौर में उन्हें चेतावनी दी गयी थी, लेकिन इसका नतीजे पर कोई फर्क नहीं पड़ा. इस तरह भारतीय मुक्केबाजों ने टूर्नामेंट में दो रजत और चार कांस्य पदक अपने नाम किए. मीना कुमारी देवी (54 किग्रा), एल सरिता देवी (60 किग्रा), स्वीटी बूरा (75 किग्रा) और भाग्यवती काचरी (81 किग्रा) ने कांस्य पदक जीते. पुरुषों में अन्य कांस्य पदकधारी मोहम्मद हसमुद्दीन (56 किग्रा) और सतीश कुमार (91 किग्रा से अधिक) रहे.