मुगल सल्तनत के आखिरी बादशाह बहादुर शाह जफर के वंशज प्रिंस याकूब हबीबुद्दीन तूसी ने मंगलवार को बाबरी मस्जिद पर शिया वक्फ बोर्ड के दावे को सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि बाबरी मस्जिद मुगलों की है और इसका शिया वक्फ बोर्ड से कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने विवादित जमीन का हल कोर्ट के बाहर आपसी सहमति से निकालने की वकालत भी की। एक होटल में पत्रकारों से मुखातिब प्रिंस तूसी ने कहा कि मुगल बादशाह सुन्नी समुदाय से थे, इसलिए शिया वक्फ बोर्ड का बाबरी मस्जिद पर दावा बेबुनियाद है। सुप्रीम कोर्ट भी उनके दावे को खारिज कर चुका है। उन्होंने कहा कि मुगल सल्तनत में सभी समुदाय के लोग भाईचारे के साथ रहते थे, लिहाजा बाबरी मस्जिद-रामजन्म भूमि का हल भी भाईचारे और अमन के साथ निकाला जाएगा। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का निर्णय किसी एक के पक्ष में आने के अंदेशे को देखते हुए मामले का हल कोर्ट के बाहर समझौते से निकालने की बात कही। सुप्रीम कोर्ट ने भी मामले का हल बातचीत कर समझौते के आधार पर निकालने का सुझाव दिया है।
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धर्मगुरुओं और जनता की राय से निकालेंगे हल
प्रिंस तूसी ने कहा कि सुन्नी वक्फ बोर्ड और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने बातचीत के लिए पहल नहीं की तो देश में अमन कायम रखने को हमे खुद पहल करनी पड़ी। उन्होंने बताया कि इस संबंध में श्रीश्री रविशंकर से हमारी मुलाकात हो चुकी है। सभी मजहब के धर्मगुरुओं से मिलकर इसका हल निकालने की कोशिश जाएगी।
उन्होंने बताया कि बुधवार को वह अयोध्या दौरे पर जा रहे हैं। वहां बाबरी मस्जिद के पक्षकार हाशिम अंसारी के बेटे इकबाल, निर्मोही अखाड़े के महंत के अलावा आम लोगों से मिलकर उनकी राय जानेंगे। उन्होंने कहा कि दो दिसंबर से सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले पर सुनवाई शुरू हो रही है। उनका दावा है कि इससे पहले बातचीत से हल निकाल लिया जाएगा। पत्रकार वार्ता में मौजूद ब्राह्मण संसद के अध्यक्ष पंडित अमरनाथ मिश्रा ने कहा कि बातचीत से विवाद का हल निकालने की कोशिश शुरू कर दी गई है। उन्होंने प्रिंस तूसी को पूरा सहयोग देने की बात भी कही।
प्रिंस तूसी ने उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड में बाबरी मस्जिद का मुतवल्ली बनाने के लिए पत्र दिया है। उन्होंने कहा कि बाबरी मस्जिद सुन्नी वक्फ बोर्ड में वक्फ अलल औलाद के तौर पर दर्ज है। मुगल खानदान का वंशज होने के नाते बाबरी मस्जिद का मुतवल्ली बनने का उन्हें पूरा हक है।
उन्होंने बताया कि मुतवल्ली बनाए जाने के सिलसिले में सुन्नी सेंट्रल वक्फ के मुख्यालय जाकर चेयरमैन से मिलने की कोशिश की। वह कार्यालय में मौजूद नहीं थे तो बोर्ड के सचिव से मुलाकात कर उन्हें आवेदन दिया, लेकिन उन्होंने लेने से मना कर दिया। इसके बाद, रजिस्टर्ड डाक से बोर्ड को आवेदन भेजा है। उन्होंने कहा कि मुतवल्ली बनाने के लिए बोर्ड को 15 दिन का समय दिया है, इसके बाद सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया जाएगा।
डीएनए प्रमाणपत्र लेकर पहुंचे प्रिंस
मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर का वंशज साबित करने को प्रिंस तूसी डीएनए प्रमाण पत्र के अलावा कई कागजात लेकर राजधानी पहुंचे थे। उन्होंने कहा कि डीएनए की रिपोर्ट को कोई झूठा नहीं साबित कर सकता है इसलिए प्रमाणपत्र भी साथ लाया हूं।
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