रूस में आयोजित विजय दिवस परेड में शामिल होने के लिए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह तीन दिवसीय दौरे पर मॉस्को पहुंचे हैं। बता दें कि, मॉस्को में विजय दिवस परेड का आयोजन हो रहा है। इस परेड में भारत की तीनों सेनाओं की एक टुकड़ी भी भाग ले रही है। इसके अलावा इस परेड में चीन की सेना भी भाग ले रही है।
रक्षा मंत्री ने ट्वीट कर कहा, ‘1941-1945 के देशभक्तिपूर्ण युद्ध में सोवियत लोगों की विजय की 75वीं वर्षगांठ मनाने के लिए मॉस्को में रेड स्क्वायर पर विजय दिवस परेड में भाग ले रहा हूं। मुझे गर्व है कि भारतीय सशस्त्र बलों की त्रि-सेवा टुकड़ी भी इस परेड में भाग ले रही है।’
बता दें कि, दिल्ली से मॉस्को के लिए रवाना होने से पहले राजनाथ सिंह ने ट्विटर पर लिखा था कि तीन दिनों के दौरे पर मॉस्को जा रहा हूं। रूस की यात्रा से मुझे भारत-रूस रक्षा और रणनीतिक साझेदारी को और गहरा करने के तरीकों पर बातचीत करने का अवसर मिलेगा। मैं मॉस्को में 75वें विजय दिवस परेड में भी शामिल होउंगा।
माना जा रहा है कि राजनाथ रूसी रक्षा के उच्च अधिकारियों से मिलेंगे और आने वाले महीनों में रक्षा उपकरणों की आपूर्ति की समीक्षा करेंगे। रूसी उप प्रधानमंत्री यूरी बोरिसोव और रक्षा मंत्री सर्गेई शोइगू के साथ चर्चा के दौरान वे एस-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली के वितरण के मुद्दे को उठा सकते हैं।
रूस हर साल दूसरे विश्व युद्ध में नाजी जर्मनी पर सोवियत विजय की वर्षगांठ मनाता है। इस दिन राजधानी मॉस्को के रेड स्क्वेयर पर एक भव्य सैन्य परेड का आयोजन किया जाता है। इसमें रूस अपने सैन्य दमखम को प्रदर्शित करता है।
आधिकारिक तौर पर मई की नौ तारीख को इस खास परेड का आयोजन होता है लेकिन इस साल कोरोना महामारी के कारण इसका आयोजन दो महीने बाद कराने का निर्णय लिया गया।
साल की शुरुआत में राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा था कि इस साल की विजय दिवस परेड खास होगी, लेकिन कोविड-19 के फैलने से रोकने के लिए रूस ने मार्च से लॉकडाउन लगाया।
इसके बाद सरकार ने परेड को रद्द करने का निर्णय लिया। इसलिए इस परेड का आयोजन 24 जून को किया जा रहा है। हालांकि, परेड के रद्द होने के बाद भी राष्ट्रपति पुतिन में एक छोटे से समारोह में युद्ध में शामिल हुए लोगों की याद में इटर्नल फ्लेम वॉर मेमोरियल पर फूल चढ़ाए और 75 सालों को याद करते हुए 75 विमानों ने मॉस्को के आसमान में उड़ान भरी।
दरअसल, साल 7 मई 1945 को मित्र देशों की सेना के सामने नाजियों ने अपने हथियार डाल दिए और बिना शर्त सरेंडर कर दिया। सरेंडर की शर्तों पर बर्लिन के नजदीक 8 मई रात को 10.43 बजे हस्ताक्षर किए गए।
इस कारण साल 1945 के बाद से हर साल यूरोप के कई देश 8 मई को अपना विजय दिवस मनाते हैं, जबकि रूस ने 9 मई को विजय दिवस परेड का आयोजन करने का फैसला किया। सरेंडर की शर्तों पर हस्ताक्षर से पहले स्टालिन ने 9 मई को विजय दिवस मनाने का फैसला किया था।