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हाईकोर्ट के आदेश के तहत हार्दिक पटेल को जुलाई में छह महीने के लिए गुजरात से राज्य बदर कर दिया गया था। वे उदयपुर में पूर्व विधायक पुष्कर लाल डांगी के घर रहे। अब उनकी विदाई पूरे जोर-शोर से हो रही है। जाने से पहले उदयपुर में वे एक सम्मेलन में हिस्सा लेंगे और इसके बाद वे 300 वाहनों के लवाजमें के साथ गुजरात की ओर निकलेंगे। रतनपुर बॉर्डर होते हुए गुजरात पहुंचेंगे और गुजरात से उनके समाज के लोग उनके स्वागत के लिए इस बॉर्डर पर इससे भी ज्यादा वाहनों के साथ पहुंचेंगे। वहां पहुंचकर अगले ही दिन एक बड़ी रैली को सम्बोधित भी करेंगे। उदयपुर में निर्वासन को लेकर उन्होंने कहा कि महाराणा प्रताप जैसे वीर की कर्मभूमि पर वनवास काटने का मौका मिला, जो फक्र की बात है।
हार्दिक को पिछले वर्ष 23 दिसम्बर को जयपुर एयरपोर्ट से ही नजरबंद कर पुलिस ने सीधे उदयपुर के लिए रवाना कर दिया था। उन्होंने आरोप लगाया कि जयपुर पहुंचते ही भाजपा सरकार ने एयरपोर्ट पर उतरते ही मुझे उठवा दिया और कहा गया कि मैं जयपुर में पांव तक नहीं रख सकता। उन्होंने कहा कि जयपुर में कई लोग उनसे मिलने एयरपोर्ट आए थे, जिनसे मिलने तक नहीं दिया था। सरकार को आशंका थी कि गुर्जर नेता हार्दिक से मिलनेवाले हैं, कहीं गुर्जर आरक्षण आंदोलन न भड़क जाए। लॉ एंड ऑर्डर बहाल रखने के लिए जयपुर पुलिस ने हार्दिक पटेल को जयपुर में प्रवेश करने से रोक लगाते हुए हार्दिक को अपनी सुरक्षा में अजमेर के लिए रवाना कर दिया था। उदयपुर में रहने के दौरान पुलिस इंटेलिजेंस ने उन पर कड़ी नजर रखी। जिस मकान में वो ठहरे वहां बाहर टेंट लगाया और तीन कर्मचारी तैनात किए। इससे भी हार्दिक आहत हुए। उनका कहना है कि उन्हें इस छह महीने के दरौन नजरबंद ही रखा गया।
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हार्दिक पटेल को देलवाड़ा थाने में बयान देने के लिए तलब किया गया है। नर्वासन के दौरान 20 जुलाई को हार्दिक व पुष्कर लाल डांगी सहित समाज के दर्जन भर लोगों पर उदयपुर से नाथद्वारा जाते समय नेगड़िया टोल प्लाजा पर टोल नहीं देने और टोलकर्मियों से धमकियां देने व मारपीट करने के आरोप में मुकदमा दर्ज है। अब इस मामले में उनके और अन्य आरोपियों के बयान होने हैं। हार्दिक का कहना है कि उन्हें झूठे मुकदमों में फंसाया जा रहा है।